UP: उत्तर प्रदेश विधानसभा ने तो नजूल संपत्ति बिल पारित कर दिया है लेकिन यह बिल विधान परिषद में जाकर लटक गया है, जिसे लेकर अब हंगामा मचा हुआ है. दरअसल, लोकसभा चुनाव के बाद ये तीसरा ऐसा मामला है जिस पर हंगामा मचा है. हालांकि नजूल संपत्ति विधेयक को अभी प्रवर समिति के पास भेजा गया है लेकिन इसके अटकने से एक बार फिर यूपी में सियासी घमासान की संभावनाएं हैं.
बुधवार को पारित हुआ नजूल संपत्ति बिल
बता दें कि विधानसभा में यूपी के संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने बुधवार को नजूल संपत्ति विधेयक को रखा जो काफी हंगामे के बीच विधानसभा से पारित हो गया. इस बिल को पटल पर रखने के साथ ही सपा-कांग्रेस समेत कई बड़े नेता और विधायक इसके विरोध में खडे हुए. इसके बाद जब इस विधेयक को विधानपरिषद में पेश किया गया, लेकिन एक रणनीति के तहत विधान परिषद में इसे अटका दिया गया.
नजूल संपत्ति विधेयक 2024 क्या है?
उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति विधेयक, 2024 का उद्देश्य नजूल भूमि को निजी स्वामित्व में बदलने से रोककर उसे विनियमित करना है. नजूल भूमि सरकारी स्वामित्व वाली है लेकिन सीधे राज्य संपत्ति के रूप में प्रबंधित नहीं की जाती है.
इस विधेयक में कहा गया है कि नजूल भूमि को निजी व्यक्तियों या संस्थानों को हस्तांतरित करने के लिए किसी भी अदालती कार्यवाही या आवेदन को रद्द कर दिया जाएगा और खारिज कर दिया जाएगा. यह सुनिश्चित करते हुए कि ये भूमि सरकारी नियंत्रण में रहेगी. अगर भुगतान स्वामित्व परिवर्तन की प्रत्याशा में किया गया था, तो बिल जमा तिथि से भारतीय स्टेट बैंक की सीमांत निधि आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) पर गणना की गई ब्याज के साथ रिफंड अनिवार्य करता है.
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