चारधाम यात्रा सांस्कृतिक विविधता, एकता व सेवाभाव का अनूठा संगम, श्रद्धालुओं में दिख रहा गजब का उत्‍साह

Char Dham Yatra : चारों धामों की यात्रा के धार्मिक महत्व से सभी परिचित हैं। अक्सर हम चारधाम यात्रा का महत्व धार्मिक रूप तक सीमित कर देते हैं, लेकिन असल में जितना हम जानते हैं इसका महत्व उससे कई अधिक है, क्योंकि यह यात्रा धार्मिक आस्था से लेकर सांस्कृतिक विविधता, एकता व सेवाभाव का अनूठा उदाहरण है।

मौजूदा हालात में इस बार चारधाम यात्रा में यात्रियों की संख्या पिछले वर्ष कम जरूर है, लेकिन यात्रा का प्रवेश द्वार ऋषिकेश धार्मिक व सांस्कृतिक रंगों से सराबोर है। जानकारी के मुताबिक, ट्रांजिट कैंप ऋषिकेश में उत्तरी, पश्चिमी व पूर्वी व दक्षिणी राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे रहे हैं। चारधाम यात्रा के लिए भक्‍तों में काफी उत्‍साह की झलक दिखाई दे रही है और अपनी संस्कृति से समरूपता व विविधता को भी साझा कर रहे हैं।

धार्मिक आस्था

हम आपको बता दें कि ट्रांजिट कैंप में विभिन्न राज्यों के यात्री भगवान के भजन गाकर समय व्यतीत कर रहे हैं। कई यात्रियों के समूह ढोल, मंजीरा समेत कई वाद्य-यंत्र भी साथ लाएं हैं और सभी एक साथ मिलकर मधुर संगीत के साथ भजन का आनंद ले रहे हैं। चारधाम यात्रा को लेकर यात्री अधिक उत्साहित हैं।

सांस्कृतिक विविधता

राजस्थान के निवासी नागौर जिले से आए किशन मीणा का कहना है कि, राजस्थान के साथ कई जिलों से यात्री यात्रा के लिए पहुंचे हैं। सभी गोरबंद, कागा, लांगुरिया आदि प्रमुख लोकगीतों का सामूहिक रूप से आनंद ले रहे हैं। यात्री इन गीतों को गाकर समय व्यतीत कर रहे हैं। इसके साथ ही लोग यात्रा में भी एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं। वहीं, आसपास मौजूद अन्य राज्यों के यात्री भी इन लोकगीतों का आनंद ले रहे हैं।

सेवा भाव: यात्रियों का आतिथ्य सत्कार

ऋषिकेश पहुंच रहे चारधाम यात्रियों को रहने, खाने-पीने की बेहतर सुविधाएं की गई हैं। जानकारी के मुताबिक प्रशासन सहित सामाजिक संगठन यात्रियों की हर मदद के लिए मुस्तैद हैं। पुलिस अधिकारी भी कड़ी व्‍यवस्‍था में मौजूद हैं। शासन व्‍यवस्‍था काफी टाइट कर दी गई है। नगर आयुक्त शैलेंद्र सिंह नेगी रोजाना यात्रियों को भोजन वितरण करने के साथ उन्हें उत्तराखंड की संस्कृति के बारे में जानकारी भी दे रहे हैं।

यात्रा को लेकर स्थानीय लोगों का परिचय

जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि, चारधाम यात्रा पर परिवहन, होटल जैसे बड़े कारोबार से लेकर डंडी, थैला जैसे छोटे व्यवसायी भी निर्भर रहते हैं। चारधाम यात्रा में हजारों लोगों को आर्थिकी के अवसर प्राप्त हो रहे हैं। ऋषिकेश ट्रांजिट कैंप में थैला बेच रहे 22 वर्षीय युवक किशन ने बताया कि वह 50 रुपये से लेकर 200 रुपये तक के थैले बेचता है। वर्तमान में उसकी रोजाना 400 से 800 रुपये की कमाई हो जाती है।

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