Narmada River: गंगा-यमुना की तरह ही नर्मदा नदी भी लाखों लोगों के दिलों में एक पवित्र स्थान रखती है. लेकिन जहां ज्यादातर नदियां पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर बहती हैं, वहीं नर्मदा ठीक इसके विपरीत पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है और अरब सागर के साथ मिल जाती है.
आपको बता दें कि नर्मदा नदी को आकाश की बेटी भी कहा जाता है. इस नदी के साथ प्रेम, विश्वासघात और अकेलेपन की कहानी भी जुड़ी हुई है. आइए जानते हैं कि आखिर क्यों कुंवारी हैं नर्मदा और क्या है इसके उल्टा बहने का वैज्ञानिक कारण.
Narmada River: क्यों नहीं हुआ नर्मदा का विवाह?
कहा जाता है कि नर्मदा एक सुंदर राजकुमार के रूप में विख्यात सोनभद्र से प्यार करती थीं, लेकिन किस्मत को दोनों का सुंदर मिलन मंजूर नहीं था. नर्मदा को विवाह से पहले इस बात के बारे में पता चला कि सोनभद्र उनकी दासी जुहिला को पसंद करते हैं. ऐसे में, प्रेम के बाद मिले अकेलेपन के बाद नर्मदा ने कुंवारी रहने और सोनभद्र के विपरीत पश्चिम की ओर बहने का फैसला कर लिया. यही वजह है कि आज भी नर्मदा उल्टी दिशा में बहती है.
Narmada River: क्या है वैज्ञानिक कारण?
वहीं, वैज्ञानिकों का मानना है कि रिफ्ट वैली के कारण नर्मदा नदी के उल्टी दिशा में बहती है. आसान भाषा में कहें तो नदी के प्रवाह के लिए जो उसका ढलान है वह उल्टी दिशा में है. ऐसे में जाहिर है कि ढलान जिधर होता है उधर की पानी का फ्लो होता है. ऐसे में ही नर्मदा नदी का प्रवाह भी उल्टी दिशा में होता है.
Narmada River: कई मायनों में खास है नर्मदा
- मध्य प्रदेश और गुजरात की जीवन रेखा कहलाने के साथ ही नर्मदा नदी को कुछ स्थानों पर रीवा नदी भी कहते हैं.
- यह भारत की 5वीं सबसे लंबी नदी है, जो 1,077 किलोमीटर का कुल मार्ग तय करती है.
- इस नदी के तट पर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल ओंकारेश्वर मंदिर स्थित है.
- इसका उद्गम स्थल मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले के अमरकंटक पठार है.
- मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र की जगहों से गुजरते हुए यह सिर्फ इन राज्यों के भूगोल ही नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था और संस्कृति में भी अहम भूमिका निभाती हैं.
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