प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी के निजी और सरकारी अस्पतालों में आग लगने से बचाव के प्रबंधों पर प्रदेश सरकार से तीन सप्ताह में जवाब तलब किया है। परफेक्ट मिशन संस्थान की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी और न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की पीठ ने सुनवाई की। याची के अधिवक्ता प्रशांत मिश्र और सर्वेश्वरी प्रसाद का कहना था कि वाराणसी के ज्यादातर निजी अस्पतालों में अग्नि शमन के प्रबंध नहीं हैं। याची संस्था ने आरटीआई में डीएम से जानकारी मांगी थी जिसमें पता चला कि बनारस के 11 सरकारी अस्पतालों को अग्नि शमन विभाग का अनापत्ति प्रमाणपत्र प्राप्त है। याची का कहना है कि गत वर्ष गैलेक्सी हॉस्पिटल के आईसीयू में आग लगने से कई मरीज और अस्पताल का स्टॉफ घायल हो गए थे। उसके बाद समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों से पता चला कि 52 निजी अस्पतालों को नोटिस जारी किया गया है जिनको फायर विभाग की एनओसी नहीं मिली है। याची का कहना है कि अस्पतालों में वेंटिलेटर और दूसरे कई इलेक्ट्रिक उपकरण लगे होते हैं। विद्युत सुरक्षा निदेशालय की जिम्मेदारी है कि अस्पतालों और अन्य स्थानों जहां इलेक्ट्रिक उपकरण लगे हैं का ऑडिट कर रिपोर्ट दे। मगर अधिकारी अपने वैधानिक दायित्व का निर्वहन करने में असफल हैं। जबकि केंद्र सरकार ने गत वर्ष कोविड प्रोटोकॉल के तहत सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी कर अस्पतालों में आग लगने की घटनाएं न हों इसका प्रबंध करने और रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।