नई दिल्ली। डालर के मुकाबले रुपया के मूल्य में निरन्तर गिरावट अर्थव्यवस्था के सन्दर्भ में गम्भीर चिन्ता का विषय है। दो दिन पहले शुक्रवार को रुपया मुद्रा बाजार में रिकार्ड स्तर पर नीचे आ गया। ऐसी स्थिति में यह जरूरी हो गया है कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक रुपया में गिरावट को रोकने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य करे,
क्योंकि रुपया का गिरना साख को प्रभावित करता है। बाजार खुलते ही प्रातः रुपया आठ पैसे की गिरावट के साथ 77.82 रुपये के स्तर पर आ गया जबकि एक दिन पहले गुरुवार को यह डालर के मुकाबले 77.74 रुपये के स्तर पर बन्द हुआ था। अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में तेजी और शेयर बाजारों में विदेशी निवेशकों की निरन्तर बिकवाली के
चलते रुपया में गिरावट देखी जा रही है। विशेष बात यह है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध होने के बाद से रुपया लगातार कमजोर होता जा रहा है। वैश्विक अस्थिरता के चलते विदेशी निवेशक अपना निवेश वापस निकालने लगे हैं। इससे डालर के मुकाबले रुपया अब तक के अपने ऐतिहासिक निचले स्तर पर आ गया है।
गत 23 फरवरी 2022 को युद्ध शुरू होने से पहले रुपया डालर के मुकाबले 74.62 रुपये पर था, जो गिरकर 10 जून 2022 को 77.82 रुपये पर आ गया। भारतीय रिजर्व बैंक ने रुपये में गिरावट को रोकने के लिए कई कदम भी उठाये, लेकिन विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली कर अपना निवेश निकाल रहे हैं।
इससे बाजार कमजोर हो रहा है। 2022 में विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से अब तक 1.57 लाख करोड़ रुपये वापस निकाल चुके हैं। यह बड़ी राशि है। इसलिए रुपया में गिरावट को रोकना आवश्यक हो गया है। इसका दुष्प्रभाव आयात- निर्यात व्यापार पर भी पड़ रहा है।
इससे महंगी बढ़ेगी, क्योंकि आयात महंगा हो जाएगा। इसका बोझ आम जनता पर पड़ना स्वाभाविक है। यदि गिरावट का यह क्रम बना रहा तो आने वाले दिनों में एक डालर के मुकाबले रुपया 80 रुपये प्रति डालर के स्तरपर आ सकता है।