Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मां और पुत्री का हृदय एक जैसा होता है, इसलिए एक को दूसरे का डर नहीं रहता. लेकिन सास-बहू एक ही घर में हमेशा रहकर हृदय से अलग-अलग होते हैं, इसलिए वे एक दूसरे के प्रति भय एवं शंका के वातावरण में जीवित रहते हैं. परन्तु ये ही सास-बहू यदि मां-पुत्री के समान अभेद भाव और प्रेमभाव से रहने लगें तो एक-दूसरे को कोई डर न रहेगा.
जहां भेदभाव है, वहीं भय है. जहां भेदभाव नहीं है, वहां भय का नामोनिशान भी नहीं है. परीक्षित ने तो काटने के लिए आने वाले तक्षक में भी प्रभु के ही दर्शन करके अभेद भाव बताया था. फिर भला इसे किसका भय हो और क्यों हो? श्रीशुकदेवजी के मुख से भागवत सुनने के बाद परीक्षित के हृदय में भी यह भाव दृढ़ हो गया था कि मेरे भगवान सभी में रहते हैं, इसलिए वे तक्षक में भी बैठे हैं. वे जो कुछ करेंगे मेरे कल्याण के लिए ही करेंगे. अतः मुझे किसी प्रकार का भय नहीं है. मैं निश्शंक हूं.
जीवन में धीरे-धीरे संयम बढ़ाते हुए भक्ति करोगे तो प्रभु अवश्य मिलेंगे. सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश), श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर(राजस्थान)
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