वाराणसी। टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने इतिहास रच दिया है। चार दशक के बाद टीम इंडिया को ओलंपिक का पदक मिला है। बृहस्पतिवार को टोक्यो ओलंपिक के प्ले ऑफ मुकाबले में टीम इंडिया ने जर्मनी को 5-4 से हराकर कांस्य पदक अपने नाम कर लिया। भारतीय पुरुष टीम की कड़ी मेहनत इस ऐतिहासिक जीत में सफलता का राज बनी। जिसमें वाराणसी के लाल (खिलाड़ी) ललित उपाध्याय ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। मुख्य रूप से फॉरवर्ड और मिडफील्ड से खेलने वाले ललित ने इस जीत में अहम भूमिका निभाई है। देश के लिए हिरो बने सभी खिलाड़ियों के घरों और उनके शहरों में इस वक्त जश्न का माहौल है। इस क्रम में बनारस के शिवुपर क्षेत्र के भगतपुर में ललित उपाध्याय के घर पर जश्न मनाया जा रहा है।ललित उपाध्याय के दोस्त और प्रशंसक उनके घर पर जुटे हैं। पूरे गांव में जश्न मनाया जा रहा है। ललित का मां रीता और पिता सतीश उपाध्याय का लोगों ने मुंह मीठा कराया। उन्होंने बताया कि भारतीय टीम और बेटे पर भरोसा था। उनकी सफलता के लिए मन्नतें और दुआएं की जा रही थी। आज बहुत खुशी मिली है।
इधर 41 साल बाद भारतीय टीम के पदक जीतने पर बनारस रेल कारखाना, यूपी कॉलेज, सिगरा स्टेडियम में अभ्यास करने वाले खिलाड़ियों में काफी उत्साह है। बरेका कोच सुनील सिंह ने बताया कि इस सफलता से हॉकी को लेकर लोग जागरूक होंगे। ललित के साथ कई अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने वाले उनके दोस्त और हॉकी खिलाड़ी हरिकृपाल यादव, लक्ष्मीशंकर, जूनियर खिलाड़ी गौतम ने कहा कि बहुत ज्यादा खुशी मिली है। बता दें कि काशी के मोहम्मद शाहिद 1980 में मास्को ओलंपिक में देश को स्वर्ण पदक जीताने वाली टीम के सदस्य थे।