वाराणसी। वैक्सीन के मिक्स एंड मैच डोज से दुनिया भर में वैक्सीन की किल्लत खत्म होने के साथ बेहतर एंटीबॉडी विकसित होने की बात कही जा रही है। जबकि कई यूरोपीय देशों ने इसकी शुरूआत भी कर दी है, जबकि भारत में इसे अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। प्रख्यात जर्नल लैंसेट में स्पेनिश वैज्ञानिकाें के शोध प्रकाशित होने के बाद से ही मिक्स एंड मैच की कहानी सामने आई है। मिक्स एंड मैच डोज का अर्थ है कि वैक्सीन के दोनों डोज दो अलग-अलग कंपनियों के हों। पहली डोज जिसकी ली गई है, दूसरी उसके बजाय किसी दूसरे कंपनी की हो। स्पेन के अध्ययन में पाया गया है कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की पहली खुराक के बाद, फाइजर की डोज लेने के 14 दिनों के बाद लोगों में एंटीबॉडी का स्तर उनसे अधिक था, जिन्होंने दोनों खुराक एस्ट्राजेनेका की ही ली थी। इनकी एंटीबॉडी लैब टेस्ट में कोरोना वायरस की पहचान कर खत्म करने में ज्यादा सक्षम थे। इस तरह से भारत के वैज्ञानिक भी इस परीक्षण में अपना हाथ आजमा सकते हैं। बीएचयू के डाक्टर, वायरोलाजिस्ट और विशेषज्ञ सभी मिक्स एंड मैच डोज के लाभ के ही बात कह रहे हैं, मगर जब तक इसका यहां के वैक्सीन पर ट्रायल नहीं हो जाता, तब तक इस पर कोई विचार भी नहीं करना चाहिए। वहीं कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि संभव है, मिक्स एंड मैच डोज भविष्य में कोरोना वायरस के आने वाले नए वैरिएंट्स पर भी असरकारी हो। आइएमएस-बीएचयू में मालिक्यूलर बायोलाजी विभाग के अध्यक्ष और वायरोलाजिस्ट प्रो. सुनीत सिंह ने बताया कि वैक्सीन की किल्लत को खत्म करने का यह बहुत कारगर तरीका है। लेकिन जब तक एक वृहद सैंपल साइज के साथ भारत की परिस्थितियों में इसका सफल परीक्षण न हो जाए तब तक कुछ भी कहना मुश्किल है। यह जरूर है कि स्पेन में इसके कई बेहतर परिणाम देखे जा रहे हैं। इसमें पहला एम-आरएनए फाइजर और दूसरा कोविशील्ड का एस्ट्रेजेनिका का परीक्षण किया गया है। इनमें एंटीबॉडी या आप्टिमल और इम्युनोलाजिकल रिस्पांस बेहतर देखा गया। मगर अभी यह पूरे तरीके से न तो यूनाइटेड किंगडम में स्वीकार की गई है न ही भारत में। प्रो. सिंह ने कहा कि तमाम वैक्सीन अलग-अलग आधार पर विकसित हुईं हैं। फाइजर और माडर्ना एम-आरएनए हैं। जाइडस की डीएनए वैक्सीन है। कोवैक्सीन इनएक्टिवेटेड और कोविशील्ड एडिनोवायरल वैक्सीन है। केवल फाइजर और एस्ट्राजनिका पर ही ट्रायल किया गया है। इसलिए यह ट्रायल सभी वैक्सीन पर एकसमान नतीजा दे, ऐसा कहना मुनासिब नहीं है। ऐसा भी हो सकता है कि कोई साइडइफेक्ट हो जाए।