नई दिल्ली। वैश्विक स्तर पर भारत सहित अन्य देशों की कोरोना वैक्सीन की प्रभावशीलता पर चर्चा करने के लिए मंगलवार को डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञ पैनल की बैठक होने जा रही है। इस बैठक में भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन ‘कोवाक्सिन’ को आपात मंजूरी (EUL) देने पर प्रमुखता से चर्चा की जाएगी। इस बैठक में स्ट्रेटेजिक एडवाइजरी ग्रुप ऑफ एक्सपर्ट ऑन इम्यूनाइजेशन (SAGE) द्वारा कोवाक्सिन के डाटा का विश्लेषण किया जाएगा। बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अब तक केवल छह कोविड-19 वैक्सीन को मंजूरी दी है। इनमें- फाइजर-बायोएनटेक, जॉनसन एंड जॉनसन (J&J), ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका , मॉडर्ना, सिनोफार्म और सिनोवैक वैक्सीन शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार EUL एक जोखिम-आधारित प्रक्रिया है, जो मूल्यांकन और लिस्टिंग के लिए बिना लाइसेंस वाले टीके पर विचार करती है। इस प्रक्रिया में चिकित्सीय और इन-विट्रो डायग्नोस्टिक्स भी शामिल हैं ताकि एक निश्चित सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल से प्रभावित लोगों को वैक्सीन की उपलब्धता में तेजी लाई जा सके। यदि कोवाक्सिन को इस सूची में शामिल किया जाता है, तो भारत के स्वदेशी रूप से विकसित कोविड -19 वैक्सीन को व्यापक वैश्विक स्वीकृति मिलने की उम्मीद है। डब्ल्यूएचओ ने भारत बायोटेक से उसकी कोरोना वैक्सीन ‘कोवाक्सिन’ को आपात मंजूरी देने के लिए और भी डाटा उपलब्ध कराने को कहा है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि फिलहाल आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण में कुछ और दिनों की देरी होगी। वहीं इस मामले पर अब भारत बायोटेक ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि एक जिम्मेदार वैक्सीन निर्माता कंपनी के रूप में, हम नियामक अनुमोदन प्रक्रिया और इसकी समय-सीमा पर अटकलें या टिप्पणी करना उचित नहीं समझते हैं। हम जल्द से जल्द ईयूएल प्राप्त करने के लिए डब्ल्यूएचओ के साथ लगन से काम कर रहे हैं।