भारतवर्ष में मनुष्य जीवन प्राप्त हो जाना ईश्वर की कृपा का है फल: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, दुर्लभो मानुषो देहो देहिनां क्षणभंगुरः। तत्रापि दुर्लभं मन्ये बैकुंठ प्रियदर्शनम्।। मनुष्य का शरीर दुर्लभ है और क्षणभंगुर है। एक तो मनुष्य का शरीर मिलता बहुत कठिनाई से है और दूसरे नाजुक बहुत है। जैसे पानी में बुलबुला उठता है, वह बहुत ही नाजुक होता है, इसकी जिंदगी ज्यादा देर ही नहीं है। इसी तरह मनुष्य का शरीर भी बहुत नाजुक होता है, इसका नाम है क्षणभंगुर। भंगुर का मतलब है जो एक क्षण में जरा-सी ठोकर में छूट जाये। स्कूटर पर जा रहे हैं, जरा- सा-गिरे, सिर पर चोट आई और जीवन समाप्त। हृदय की किसी नस में रक्त रुका और जीवन समाप्त। यह मनुष्य शरीर जल्दी मिलता नहीं। हम लोग मनुष्य जीवन की कीमत नहीं कर रहे हैं। मनुष्य जीवन भारतवर्ष में मिल जाये, यह बहुत ही पुण्य की बात है। भागवत में लिखा है कि- स्वर्ग में बैठे देवता भारतवर्ष के मनुष्यों की प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि इन मनुष्य ने कौन सा पुण्य किया है, इनके पुण्य से इन्हें मनुष्य शरीर मिल गया या भगवान् ने स्वयं प्रसन्न होकर भारतवर्ष में इन्हें मनुष्य शरीर देकर भेजा है। हमारा अतीत यह बताता है कि भारतवर्ष जगतगुरु कहलाता था। और इसे सोने की चिड़िया कहा जाता था। सारे संसार को ज्ञान का प्रकाश भारतीय ॠषियों से प्राप्त हुआ और आज भी यह स्थिति है कि अमेरिका में भारत का इंजीनियर या डॉक्टर चला जाये तो विशेष बात नहीं, लेकिन कोई ज्ञानी चला जाये, योगी चला जाये तो आज भी वहां भीड़ लग जाती है। हम चाहे बहुत ही सामान्य स्थिति में हों लेकिन भारत के ज्ञान की दुनियां में आज भी सभी प्रशंसा करते हैं। इसीलिए भारतवर्ष में मनुष्य जीवन प्राप्त हो जाना बहुत बड़े पुण्य और ईश्वर की कृपा का फल है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग,गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)

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