विष्णु का अर्थ होता है व्यापक: दिव्य मोरारी बापू

राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि विष्णु का अर्थ होता है व्यापक, जो कण-कण में व्याप्त है, उसका नाम विष्णु है। सर्वं विष्णुमयं जगत। यज्ञ भी व्यापक है। सारी सृष्टि में हर क्षण यज्ञ चल रहा है। यज्ञेन यज्ञमनन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमासन्न। सांस लेते हैं तो नासिका रूपी कुंड में ब्रह्मवायु की आहुति चलती रहती है और ब्रह्म वायू से प्राणित होकर हम जीवित रहते हैं। अगर आहूति बंद हो जाय तो जीवन ही बंद हो जायेगा। उदर में जठर रूपी अग्नि में अन्न की आहुति देते हैं। उसको आहुति देने का विधान है। आजकल सड़क पर खड़े होकर खा लिया। विधि से करें तो भोजन भी यज्ञ है। वो विधि क्या है? जैसे स्नान करके हम यज्ञ करते हैं, वैसे स्नान करके भोजन करना चाहिए। जैसे यज्ञ में पवित्र पदार्थ की ही आहूति दी जाती है, यज्ञ में हम आहुति क्या देते हैं? घी, शाकल, मेवा, मिष्ठान, उसको भी धोकर, पवित्र करके, यज्ञ में आहुति देते हैं। ऐसे ही अगर पवित्र भोजन-प्रसाद भगवान को समर्पित करके आप ग्रहण करेंगे, शुद्ध बुद्धि प्राप्त होगी, कल्याण होगा। अगर आप अपवित्र भोजन कर रहे हो तो तुम्हारा यज्ञ अपवित्र हो रहा है। इससे जीवन तामसी बनेगा, बुद्धि बिगड़ेगी,अकल्याण होगा।

भोजन करने चलो तो शास्त्र पांच आहुति करने का विधान बताते हैं। पांचों में 5 मंत्र बोलना चाहिए। प्राणाया स्वाहा, अपानाय स्वाहा, व्यानाय स्वाहा, समानाय- स्वाहा, उदनाय स्वाह। भगवान श्रीराम तो यज्ञ से उत्पन्न हुए है। इसलिए भगवान श्रीराम ने अपनी लीला में यज्ञ की पूर्ण मर्यादा का पालन किया। विवाह में गये मिथिला, भोजन में इसी विधि से भोजन किया। पंच कवल करि जेवन लागे। गारि गान सुनि अति अनुराग।शतपथ ब्राह्मण के 14वें कांड में- पुत्र मंत्र का वर्णन किया गया है। संतान प्राप्ति के लिए गर्भाधान का जो विधान है, उस विधान का नाम भी सन्तान ( पुत्र-पुत्री) मंत्र यज्ञ है। वह शास्त्र विधि से होने पर यज्ञ ही है। इस प्रकार से जीवन भर यज्ञ करते हुए मनुष्य के लिए शास्त्र ने कहा- शरीर जब छूट जाय तो उसके शरीर की आहुति कर दो।कहां? तो कहते हैं- श्मशान में। जिसने जीवन भर अग्नि को खिलाया। तो आखरी में उसके शरीर को भी अग्नि में दाह समर्पण का ही भाव है, छोटीकाशी बूंदी की पावन भूमि, श्री सुदामा सेवा संस्थान (वृद्धाश्रम) का पावन स्थल, पूज्य महाराज श्री-श्री घनश्याम दास जी महाराज के पावन सानिध्य में चल रहे दिव्य चातुर्मास के अंतर्गत-श्री विष्णु महापुराण कथा के सप्तम दिवस नंदोत्सव मनाया गया, कल की कथा में भगवान लक्ष्मी नारायण के विवाह की कथा का गान किया जायेगा।

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