पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, वेदों जो तत्व का निर्णय है, वेदों का जो विषय है उसी को पुराणों में कथाओं के माध्यम से सरलता से प्रस्तुत किया गया है। जो विषय वेद में हम नहीं समझ पाते, पुराण में सरलता से समझ लेते हैं। पुराण विद्या सबके लिये है, वेद विद्या सबके लिये नहीं है। वेद वही पढ़ सकता है जो संध्या वंदन करता हो। पुराण विद्या बड़ी सरल विद्या है, इससे व्यक्ति को मुक्ति की प्राप्ति होती है। एक कथा है कि ब्रह्मा जी चार मुख चार वेद और पांचवें मुख से पुराण विद्या का पाठ करते थे। इतिहास पुराणानां पंचमो वेदाः।’ वेद जो ज्ञान का मूल है उसको जानने के लिए हमें स्मृति, इतिहास और पुराण की शरण में जाना पड़ता है, वेदार्थो निश्चेतव्य स्मृति इतिहास पुराणैः।’ वेद के अर्थ का निर्णय स्मृति, इतिहास और पुराण से किया जाता है। वेद के दो भाग हैं पूर्व भाग और उत्तर भाग। पूर्व भाग में कर्मकांड है और उत्तर भाग में ज्ञानकांड है जिसमें ब्रह्म का निरूपण है। वेद के पूर्व भाग कर्मकांड का निर्णय स्मृतियों के द्वारा होता है।और वेद का जो उत्तरभाग है ब्रह्म मीमांसा, उसका निर्णय इतिहास और पुराण के द्वारा होता है। इतिहास क्या है? रामायण और महाभारत ये दो इतिहास हैं।अठारह पुराण जगत विदित हैं।अठारह स्मृतियाँ भी जगत विदित हैं,इतिहास और पुराण के द्वारा ही ब्रह्मतत्व का निर्णय होता है। इसीलिए इतिहास पुराण की बड़ी महिमा है। इसमें विष्णु पुराण की बहुत महिमा है। श्री विष्णु महापुराण में ब्रह्म, जीव, माया तत्व का वास्तविक निरूपण किया गया है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना।श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन,जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।