पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि भगवान शंकर के त्रिशूल में भी तीन शूल हैं। शिवजी जो मस्तक पर चंदन लगाते हैं, उसमें भी तीन रेखाएं हैं और नेत्र भी तीन हैं, उन पर जो बिल्व पत्र चढ़ते हैं, वह भी तीन पत्ती वाले हैं।तीन का मतलब यही है कि- यदि आप तीन से बचना चाहते हैं, फिर भगवान् शिव की शरण ले लो। भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों कालों के कर्म होते हैं।
शिव की शरण में जाने से तीनों कर्मों का क्षय हो जाएगा। सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण माया के इन तीन गुणों को पार करने के लिए शिव की शरण में आ जाओ। जागृत, स्वप्न और सुषुप्ति इन तीनों अवस्थाओं के ऊपर उठने के लिए शिव की शरण में आ जाओ। बाल्यावस्था, युवावस्था और बुढ़ापा, जीवन में परिवर्तन भी तीन ही हैं, इन तीनों के द्वारा किए गए पाप कर्मों से बचने के लिए शिव की शरण में आ जाओ। ब्रह्मा, विष्णु और महेश, तीनों को एक साथ प्रसन्न करने के लिए शिव की शरण में आ जाओ।
तुम्हारी समाधि यथा शीघ्र सिद्ध हो जाएगी, यदि भोलेनाथ की सेवा में आपने अपना मन लगा दिया, क्योंकि शिव सदैव समाधि में रहते हैं, तुम्हारी समाधि भी स्वयमेव लग जाएगी। जैसे यदि आप किसी के पास जाते हैं, वह राम- राम या कृष्ण-कृष्ण का सिमरन कर रहा है, तब आपके मुख से भी नाम निकलने लग जाएंगे। आप जिस के घर गए वह पूजा स्थल में ध्यान लगाए बैठे हैं, आप भी बनावटी तौर पर ही सही, एक बार अपनी आंख बंद करके बैठ जाएंगे। जिसके पास आप गए, यदि वह रो रहा है, तब आपको भी रोने का अभिनय करना ही पड़ेगा।
सामने वाले का प्रभाव आप पर पड़ता है।आप समाधि सिद्ध करना चाहते हैं, तब त्रिगुणातीत शिव जो सदैव समाधि में रहते हैं, शिव की शरण में जाना ही होगा। ” तुरीय देव केवलम् ,” शिव तुरीया अवस्था के साक्षी हैं, इसलिए यदि भोलेनाथ का चिंतन करोगे तब आपकी सहज ही समाधि सिद्ध हो जाएगी और तीनों अवस्थाओं को पारकर जाओगे। शिव का तीसरा नेत्र बहुत कीमती है अम्बा पार्वती के भी तीन नेत्र हैं।
शिव ने ही कामदेव को जलाया है।श्रीशिव की शरण में जाने वाले का सर्वविधि मंगल होता है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन,जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)