देश भर के विधानमंडलों की कार्यवाही नियमों में होगी एकरूपता

हिमाचल प्रदेश। देश भर के विधानमंडलों (विधानसभाओं-विधान परिषदों) में सदन की कार्यवाही के नियमों में एकरूपता लाई जाएगी। हिमाचल विधानसभा भवन काउंसिल चैंबर शिमला में मंगलवार को शुरू हुए चार दिवसीय पीठासीन अधिकारियों के 82वें सम्मेलन में यह प्रस्ताव रखा गया तो इससे राज्यसभा के महासचिव सहित 25 राज्यों की विधानसभाओं के सचिव सहमत नजर आए। सबने इस पर एक स्वर में अपनी सहमति दर्ज की तो यह तय हो गया कि अब इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक समिति बनेगी। इसमें सभी विधानसभा सचिव सुझाव पेश करेंगे। पहले दिन सचिवों की मंत्रणा में चार मुद्दों पर चर्चा हुई। इसमें पहला विषय वाद-विवाद तथा चर्चा को और उपयोगी बनाकर क्षमता निर्माण करना था। दूसरा विषय समिति की ऑनलाइन बैठक की सदन में आवश्यकता, चुनौतियां और इसके आगे का रास्ता रहा। लोकसभा महासचिव उत्पल कुमार सिंह और राज्यसभा महासचिव प्रमोद चंद्र मोदी ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा की जमकर तारीफ की। यहां पर पेपरलेस कार्यवाही करने और इसे सूचना प्रौद्योगिकी से जोड़ने के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि तकनीक के साथ अपडेट रहना भी आज विधानमंडलों के समक्ष बड़ी चुनौती है। तीसरा विषय प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों में एकरूपता रखना था। देश भर में विधानमंडलों में अलग-अलग मामलों में भिन्न-भिन्न तरह से कार्यवाही की जाती है, जबकि इसमें एकरूपता होनी चाहिए। इसके लिए लोकसभा और राज्यसभा के कार्यवाही नियमों के साथ भी राज्य विधानमंडलों के नियमों में एकरूपता लाने पर सहमति बनी।चौथे वि षय विधानमंडलों के विशेषाधिकार और सूचना का अधिकार अधिनियम विषय पर मंत्रणा हुई। इस संबंध में विधानसभा के सचिवालय किस तरीके से बेहतर तरीके से भूमिका निभा सकते हैं, यह भी चर्चा का विषय रहा। विधानसभा सचिवालयों से आरटीआई एक्ट के तहत मांगी जाने वाली सूचनाओं और इस एक्ट के लागू होने की सीमाओं और अन्य विषयों पर भी चर्चा हुई।

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