हठ योग मांसपेशियों को स्वस्थ रखने और एकाग्रता को बढ़ाने में है लाभकारी

योग। हठ योग का जिक्र प्राचीन शास्त्रों और ग्रंथों में भी मिलता है। शोधकर्ता के मुताबिक इसके नियमित अभ्यास की आदत विशेष चमत्कारी प्रभावों वाला है। योग विशेषज्ञों कहते है कि हठ योग के आसन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य सुधार के लिए काफी लाभकारी हो सकते हैं। विशेषतौर पर मानसिक स्वास्थ्य और एकाग्रता को बढ़ावा देने और मांसपेशियों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए इस योग के अभ्यास को करने की सलाह दी जाती रही है।

हठ योग, जिस तरह नाम से ही स्पष्ट है कि इस योग के अभ्यास के लिए अतिरिक्त फोर्स की आवश्यकता होती है। यह कई योगासनों का संयुक्त रूप है। इस प्रकार के योग में आप अपने शरीर को धीरे-धीरे ऐसे पोज़ में ले जाते हैं जो आपकी ताकत और लचीलेपन को सुधारने में मददगार हो सकते हैं।

सभी उम्र के लोगों के लिए इस योगासन का अभ्यास लाभप्रद हो सकता है। तो आइए हठ योग के ऐसे ही प्रभावी योगाभ्यासों और उससे होने वाले लाभ के बारे में जानते हैं।

ताड़ासन योग :-
ताड़ासन योग को माउंटेन पोज के नाम से भी जाना जाता है, शरीर के पोस्चर को बेहतर बनाने में मदद करने के साथ यह उन आसनों में से एक है जो संतुलन को सुधारने और मांसपेशियों को स्वस्थ रखने में भी विशेष लाभकारी माना जाता है। यह आसन आपकी जांघों, घुटनों और टखनों की ताकत और लचीलेपन को भी बढ़ाने में विशेष सहायक है। योग विशेषज्ञ बताते हैं, मानसिक एकाग्रता और क्षमता के लिए भी इससे लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

हलासन योग :-
हलासन का अभ्यास कठिन होता है और इसके लिए आपको निरंतर प्रैक्टिस की आवश्यकता होती है। इस योग के दौरान अपने पैरों को सिर से होते हुए पीछे की ओर ले जाना होता है, जिससे शरीर की सभी बड़ी मांसपेशियों की स्ट्रेचिंग के साथ लचीलेपन को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।

पीठ की मांसपेशियों को फैलाने और मजबूत करने के साथ गर्दन, कंधों और पीठ में जकड़न को कम करने में भी इस अभ्यास से लाभ हो सकता है। हलासन का अभ्यास करने से लचीलापन बढ़ता है, जिससे मांसपेशियों और जोड़ों की गतिशीलता में सुधार होता है।

शीर्षासन योग:-
हठ योग के आसनों में शीर्षासन का अभ्यास सबसे कारगर और फायदेमंद है, जो रक्त के संचार को ठीक करने के साथ ध्‍यान और मांसपेशियों की शक्ति को बढ़ाने में भी विशेष लाभकारी है। इस योग से सिर और आंखों में रक्त प्रवाह बढ़ता है। चूंकि अभ्यास के दौरान कंधों और भुजाओं पर दबाव बढ़ता है ऐसे में इससे इन अंगों की मजबूती बढ़ती है। पैरों, टखनों और हाथों के लिए भी इस आसन के विशेष लाभ है।

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