करवा चौथ आज, जानें चंद्रमा के निकलने का समय…

आस्‍था।  आज करवा चौथ का पर्व पूरे देश में मनाया जा रहा है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर करवा चौथ का त्योहार मनाया जाता है। यह सुहागिन महिलाओं का सबसे खास और बड़ा त्योहार होता है। इस पर्व पर महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखते हुए पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। करवा चौथ का त्योहार सुबह होने के साथ ही शुरू हो जाता है और शाम को चांद निकलने पर दर्शन और अर्घ्य देकर पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलती हैं। करवा चौथ पर करवा माता के साथ भगवान शिव, मां पार्वती, स्वामी कार्तिकेय और भगवान गणेश की पूजा-आराधना की जाती है।

शुभ योग:-

13 अक्‍टूबर, गुरुवार को कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन गुरुवार है और सभी ग्रहों में सबसे ज्यादा शुभ फल देने वाले गुरु ग्रह अपनी स्वयं की राशि में रहेंगे। ज्योतिष शास्त्र के जानकारों के मुताबिक ऐसा संयोग 46 वर्षों के बाद बन रहा है। इस तरह के इस बार करवा चौथ पर गुरु का प्रभाव सबसे ज्यादा रहेगा। यह संयोग सुख-समृद्धि और वैभव में वृद्धि करने वाला होगा। इसी के साथ सुहागिन महिलाओं के अखंड सौभाग्य और सुख-सुविधा के लिए शुभ फलदायी देने वाला है। इसके अलावा करवा चौथ पर चंद्रमा और बुध ग्रह उच्च राशि में विराजमान होंगे। गुरु-शनि भी अपनी राशि में जबकि मंगल स्वयं के नक्षत्र में होंगे। बुधादित्य और महालक्ष्मी योग करवा चौथ की पूजा को सफल और मंगलकारी बनाएंगे।

करवा चौथ पूजा मुहूर्त:-  

शाम 05 बजकर 54 मिनट से 07 बजकर 03 मिनट तक

करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय:-

13 अक्टूबर, 2022 की शाम 08 बजकर 10 मिनट पर चांद के दर्शन होंगे

 करवाचौथ पूजाविधि:-

  • करवा चौथ की सुबह सुहागिन महिलाएं सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत रखने का संकल्प लें और सास द्वारा दी गई सरगी का सेवन करें।
  • इसके बाद करवा चौथ का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। जो महिलांए निर्जल व्रत ना कर सकें वह फल,दूध,दही,जूस,नारियल पानी ले सकती हैं।
  • व्रत के दिन शाम को लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं, इस पर भगवान शिव,माता पार्वती,कार्तिकेय,गणेश जी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित कर दें।
  • एक लोटे में जल भरकर उसके ऊपर श्रीफल रखकर कलावा बांध दें व दूसरा मिट्टी का टोंटीदार कुल्लड़(करवा) लेकर उसमें जल भरकर व ढक्कन में शक्कर भर दें, उसके ऊपर दक्षिणा रखें,रोली से करवे पर स्वास्तिक बनाएं।
  • इसके बाद धूप,दीप,अक्षत व पुष्प चढाकर भगवान का पूजन करें,पूजा के उपरांत भक्तिपूर्वक हाथ में गेहूं के दाने लेकर चौथमाता की कथा का श्रवण करें। रात्रि में चंद्रमा के उदय होने पर चंद्रदेव को अर्ध्य देकर बड़ों का आशीर्वाद लें।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *