काशी विश्‍वनाथ धाम: लोकार्पण करने के बाद पीएम मोदी ने विरोधियों पर भी जमकर साधा निशाना…

वाराणसी। काशी विश्‍वनाथ धाम का लोकार्पण करने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विरोधियों पर भी जमकर निशाना साधा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि जब मैं बनारस आया तो एक विश्‍वास लेकर आया था। विश्‍वास अपने से ज्यादा बनारस के लोगों का था। तब कुछ लोग जो बनारस के लोगों पर संदेह करते थे। वह लोग कहते थे कि कैसे होगा? होगा ही नहीं। कहते थे कि यहां तो ऐसा ही चलता है। मोदी जैसे बहुत आकर चले गए। मुझे आश्चर्य होता था कि बनारस के लिए कैसे इस तरह की धारणाएं बना दी गई थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि मुझे पता था कि ये जनता बनारस की नहीं थी। हो भी नहीं सकती थी। इसमें थोड़ा बहुत राजनीति और थोड़ा निजी स्वार्थ था। बनारस पर आरोप लगाए जा रहे थे, लेकिन काशी तो काशी है। काशी तो अविनाशी है। काशी में एक ही सरकार है, जिनके हाथों में डमरू है। यहां महादेव की सरकार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जहां गंगा अपनी धारा बदलकर बहती हो उस काशी को भला कौन रोक सकता है। काशी खंड में भगवान शिव ने खुद कहा है कि बिना मेरी प्रसन्नता के काशी में कौन आ सकता है, कौन इसका सेवन कर सकता है। काशी में महादेव की कृपा के बिना न कोई आता है, और न ही कुछ होता है। यहां जो भी होता है, महादेव की इच्छा से होता है। जो भी हुआ महादेव ने ही किया है। भोजपुरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इ विश्‍वनाथ धाम बाबा आपन इच्छा से बनइले हउवन, उनके इच्छा के बिना पत्ता भी नाही हिल सकेला, कोई केतना बड़ा होई तो अपने घरे के होई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बाबा के साथ किसी और का योगदान अगर यहां है, तो वह बाबा के गणों का है। बाबा के गण यानी हमारे सारे काशीवासी, जो खुद महादेव के ही रूप हैं। जब भी बाबा को अपनी शक्ति का एहसास कराना होता है, कुछ न कुछ करा देते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि काशी आते ही सारे बंधनों से मुक्ति मिल जाती है। आज विश्‍वनाथ धाम अत्यंत ऊर्जा से भरा हुआ है। इसकी विशेषता आसमान छू रही है। यहां जो प्राचीन मंदिर लुप्त हो गए, उन्हें भी पुर्नस्थापित किया जा चुका है। बाबा अपने भक्तों की सेवा से प्रसन्न हुए हैं। इसलिए उन्होंने आज के दिन का हमें आशीर्वाद दिया है। यह पूरा परिसर केवल भवन नहीं है, यह सनातन संस्कृति का प्रतीक है। शहर आध्यात्मिक आस्था और भारत की प्राचीनता, उर्जाशीलता का प्रतीक है। प्राचीनता और नवीनता एक साथ सजीव हो रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जो गंगा उत्तरवाहिनी होकर बाबा के विश्‍वनाथ के पांव पखारने आती हैं, वह भी बहुत प्रसन्न हो रही होंगी। आप बाबा का जब ध्यान लगाएंगे, तब मां गंगा को स्पर्श करती गंगा की हवा हमें अद्भुत और दैव्य अनुभव कराएंगी। उन्‍होंने कहा कि यहां सभी लोग आना चाहते थे, लेकिन बहुत कठिनाई होती थी। अब विश्‍वनाथ धाम बनने से पहुंचना बहुत सुगम हो गया है। बुजुर्ग लोग नाव से घाट तक आएंगे। वहां से एक्सिलेटर लगाए गए हैं। सीधे दर्शन के लिए आ सकेंगे। अब पहले की तरह परेशानी नहीं होगी। अब 60-70 हजार लोग एक साथ यहां आ सकेंगे। पीएम मोदी ने कहा कि पहले यहां जो मंदिर क्षेत्र केवल तीन हज़ार वर्ग फीट में था, वो अब करीब 5 लाख वर्ग फीट का हो गया है। अब मंदिर और मंदिर परिसर में 50 से 75 हज़ार श्रद्धालु आ सकते हैं, यानि पहले मां गंगा का दर्शन-स्नान और वहां से सीधे विश्‍वनाथ धाम। पीएम मोदी ने आगे कहा कि मैं आज हर उस श्रमिक भाई-बहनों का भी आभार व्यक्त करना चाहता हूं, जिनका पसीना इस इस भव्य परिसर के निर्माण में बहा है। कोरोना के इस विपरित काल में भी उन्होंने यहां पर काम रूकने नहीं दिया। हमारे कारीगर, हमारे सिविल इंजीनियरिंग से जुड़े लोग, प्रशासन, वो परिवार जिनके यहां घर थे सभी का मैं अभिनंदन करता हूं। इन सबके साथ यूपी सरकार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी अभिनंदन करता हूं, जिन्होंने काशी विश्‍वनाथ धाम परियोजना को पूरा करने के लिए दिन-रात एक कर दिया।

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