नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग के खतरों से बचाने के लिए अभिभावकों और शिक्षकों को एडवाइजरी जारी की है। इसमें गेम डाउनलोड के समय व्यक्तिगत जानकारी न देने और वेबकैम, निजी संदेश या ऑनलाइन चैट के माध्यम से किसी भी अजनबी से संवाद न करने की सलाह दी गई है। इसके अलावा बच्चों को ऑनलाइन मंच पर पहचान छुपाने के लिए बदला नाम (avatar) का उपयोग नहीं करने का भी परामर्श दिया गया है। शिक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार की देर शाम सभी राज्यों, प्रदेश शिक्षा बोर्ड, सीबीएसई बोर्ड को यह सेफ ऑनलाइन गेमिंग नाम से एडवाइजरी जारी की है। मंत्रालय के साइबर विशेषज्ञों का मानना है कि महामारी के कारण पिछले साल मध्य मार्च से स्कूली छात्र ऑनलाइन क्लासरूम में पढ़ाई कर रहे हैं। इससे बच्चों द्वारा मोबाइल और इंटरनेट के उपयोग में वृद्धि हुई है। प्रौद्योगिकी के नए युग में ऑनलाइन खेल बच्चों के साथ बहुत लोकप्रिय हैं। ऑनलाइन खेल की लत एक सामान्य कारक है। क्योंकि बच्चे किसी भी समय कहीं भी यह खेल कंप्यूटर, मोबाइल या टेबलेट में आसानी से खेल सकते हैं। ऑनलाइन गेमिंग के कई नुकसान हैं। गेमिंग कंपनियां भावनात्मक रूप से बच्चे को ऐप खरीदने के लिए मजबूर करती हैं। अभिभावकों को जानकारी ही नहीं होती है और उनका बच्चा साइबर बुलिंग में फंस जाता है। इसीलिए इस एडवाइजरी के माध्यम से बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग के खतरों से बचाने के लिए परामर्श दिये गए हैं। संबंधित स्कूल शिक्षकों के माध्यम से अभिभावकों और बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग के खतरों से बचाव के लिए जागरूक कर सकते हैं। परामर्श के महत्वपूर्ण बिंदु:- बच्चों को समझाएं कि कभी भी गेम डाउनलोड करते समय इंटरनेट पर व्यक्तिगत जानकारी न दें। वेब कैम, निजी संदेश या ऑनलाइन चैट के माध्यम से वयस्कों और अजनबियों के साथ किसी भी तरह का संवाद न करें। क्योंकि इससे ऑनलाइन दुर्व्यवहार करने वालों से संपर्क का जोखिम बढ़ जाता है। ऑनलाइन खेल के दौरान यदि कुछ गलत हुआ हो तो तुरंत रुकें और एक स्क्रीन शॉट ले लें। इसकी पुलिस के साइबर सेल में रिपोर्ट करें। बच्चों को ऑनलाइन मंच पर गोपनीयता बनाये रखने के लिए जागरूक करें। इस गोपनीयता का मतलब है कि उन्हें अपनी पहचान यानी अपना नाम, स्कूल का नाम, जन्मतिथि, परिवार के बारे में कोई जानकारी नहीं देनी है। बेहतर हो कि वे ऑनलाइन प्लेटफार्म पर अपना अकाउंट बनाने समय अपने पहचान छुपाएं। यहां पर ऐसा नाम रखें, जोकि परिवार के किसी सदस्य का न हो। इसे स्क्रीन नाम कहा जाता है। बच्चे द्वारा खेले जाने वाले किसी भी खेल की आयु रेटिंग की जांच करें। धमकाने के मामले में जवाब न देने के लिए प्रोत्साहित करें और परेशान करने वाले संदेशों का रिकॉर्ड रखें और गेम साइट व्यवस्थापक को व्यवहार की रिपोर्ट करें। अभिभावक बच्चों को ऐप खरीदारी से बचाने के लिए आरबीआई के दिशा-निर्देशों के अनुसार ओटीपी आधारित भुगतान विधियों को अपनाएं। अभिभावक बच्चों को अज्ञात वेबसाइटों से सॉफ़्टवेयर और ऐप डाउनलोड न करने की सलाह दें। उन्हें वेबसाइटों में लिंक, छवियों और पॉप-अप पर क्लिक करने से सावधान रहने के प्रति भी जागरूक करें। क्योंकि उनमें वायरस होने से कंप्यूटर को नुकसान पहुंच सकता है। इसके अलावा अश्लील सामग्री भी हो सकती है। अभिभावक सुनिश्चित करें कि बच्चा परिवार में रखे कंप्यूटर से इंटरनेट का उपयोग करता हो। बच्चे के व्यवहार पर नजर रखें। यदि कुछ असामान्य और व्यवहार में बदलाव दिखता है तो उससे दोस्ताना तरीके से बात करके दिक्कतों को समझें। बच्चों को समय-समय पर इंटरनेट के पेशेवरों के ज़रिये जागरूक करें। यदि ऐसे कोई मामले रिपोर्ट होते हैं तो उसके बारे में भी बताएं।