हेल्थ। ब्रेन फॉग के बारे में तो बहुत से लोग जानते भी नहीं और जो जिन लोगो ने इसका नाम सुना भी है वो लोग समझ नही पाते कि आखिर ये है क्या? तथा ये किन परिस्थितियों में महसूस हो सकता है। आपके जानकारी के लिए बता दें कि ब्रेन फॉग कोई चिकित्सीय स्थिति नहीं है। ये कुछ लक्षणों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है, जो आपके सोचने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। जिसमे आप खुद को डिसऑर्गनाइज़्ड और कन्फ्यूज महसूस करते हैं। तो चलिए जानते है कि ब्रेन फॉग की दिक्कत किन स्थितियों में आ सकती है
मेडिसिन – कुछ दवाइयां भी ब्रेन फॉग का कारण हो सकती हैं। यदि आप कोई दवा लेते हैं और ये महसूस करते हैं कि आपकी सोच उतनी क्लियर नहीं है,जितनी होनी चाहिए या आपको अचानक चीजें याद नहीं आ रही हैं तो आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करके इस बारे में जरूर बताना चाहिए। कैंसर और इसका इलाज – यदि कैंसर की बीमारी ने पेशेंट के ब्रेन को प्रभावित किया है तो कैंसर ब्रेन फॉग का कारण बन सकता है। तथा कैंसर के इलाज के लिए की जाने वाली कीमोथेरेपी भी इसकी वजह बन सकती है, जिससे मरीज को अपना नाम, डेट या अपनी डीटेल जैसी चीजें याद रखने में परेशानी हो सकती है।
प्रेग्नेंसी – कई महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान ब्रेन फॉग की परेशानी हो सकती है। डिलीवरी के बाद बॉडी में कई तरह के बदलाव आते हैं। साथ ही बेबी की सुरक्षा और पोषण के लिए दी गई दवाएं और केमिकल भी याददाश्त संबंधी समस्या उत्पन कर सकते हैं।
डिप्रेशन – डिप्रेशन होने की कंडीशन में भी ब्रेन फॉग हो सकता है। ऐसे में आपको फोकस करने में दिक्कत हो सकती है। चीजों को समझने में, ध्यान लगाने में और मल्टीटास्किंग जैसी चीजों में परेशानी हो सकती है। आपको चीजें ठीक से याद न रहने जैसी समस्या भी हो सकती है।
मेनोपॉज – रजोनिवृत्ति के दौरान भी महिलाओं को ब्रेन फॉग की समस्या से गुजरना पड़ सकता है। ऐसे में उनको चीजों को सीखने या याद रखने में मुश्किल हो सकती है। ऐसा उनकी लास्ट डेट आने के समय के लगभग एक साल बाद हो सकता है। इतना ही नहीं, इस समय उनको हॉट फ्लैशेस और तेज धड़कन जैसी दिक्कतें भी हो सकती हैं।
नींद – ब्रेन फॉग स्लीप डिसऑर्डर जैसे एपनिया, अनिद्रा या नार्कोलेप्सी जैसी दिक्कतों की वजह भी बन सकता है। ऐसे में दिन भर में 8-9 घंटे सोने की कोशिश जरूर करें। अच्छी और गहरी नींद के लिए लंच के बाद या सोने से ठीक पहले कैफीन और शराब से बचना चाहिए साथ ही कंप्यूटर व स्मार्टफोन से दूरी बनाना भी बेहतर होगा।