ओडिशा। ओडिशा विद्युत नियामक आयोग (ओईआरसी) ने रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (आरआईएल) को उसकी तीन बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) द्वारा उपार्जित 4,000 करोड़ रुपये से अधिक के बकाया का भुगतान करने का आदेश दिया है। इन कंपनियों के लाइसेंस छह साल पहले रद्द कर दिए गए थे। बिजली के ट्रांसमिशन और थोक आपूर्ति के लिए राज्य द्वारा संचालित फर्म ग्रिडको ने ओईआरसी में दायर की गई एक याचिका में कहा कि लाइसेंस शर्तों, शेयरधारक समझौतों, बिजली अधिनियम और अन्य नियमों का उल्लंघन करने के लिए आयोग द्वारा 2015 में तीन डिस्कॉम के लाइसेंस रद्द कर दिए गए थे। ग्रिडको, जो पहले ओडिशा का ग्रिड कॉर्पोरेशन था, ने दावा किया कि आईआईएल और डिस्कॉम से 4,234 करोड़ रुपये की वसूली की जा सकती है। अनिल अंबानी द्वारा नियंत्रित आरआईएल ने कहा कि डिस्कॉम अलग कानूनी संस्थाएं थीं, इसलिए कोई भी राशि यदि उनसे वसूली योग्य है, तो वह मूल फर्म से वसूल नहीं की जा सकती है। ओईआरसी जो राज्य में बिजली के लिए अपीलीय न्यायाधिकरण भी है, ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि हम मानते हैं कि तीन आरआईएल-प्रबंधित डिस्कॉम के अलावा आरआईएल स्वयं याचिकाकर्ता के उपरोक्त दावे को निपटाने के लिए पूरी तरह उत्तरदायी है। आयोग ने माना कि लाइसेंस के निरस्त होने से पहले अर्जित देनदारियों को तत्कालीन लाइसेंसधारी डिस्कॉम द्वारा वहन किया जाना था, लेकिन ऐसा नहीं होने पर बदले में यह भुगतान उनके प्रबंध निवेशक को करना होगा, जो कि आरआईएल है। ओडिशा की उत्तरी बिजली आपूर्ति कंपनी (नेस्को), ओडिशा की पश्चिमी बिजली आपूर्ति कंपनी (वेस्को) और ओडिशा की दक्षिणी बिजली आपूर्ति कंपनी (साउथको) का एक बोली प्रक्रिया के माध्यम से निजीकरण किया गया था और सफल बोलीदाता होने के बाद बॉम्बे सबअर्बन इलेक्ट्रिक सप्लाई (बीएसईएस), जिसका उत्तराधिकारी आरआईएल है, ने उनका प्रबंधन 1999 में अपने हाथ में ले लिया था। इसके बाद ग्रिडको और डिस्कॉम के बीच बिजली की थोक आपूर्ति के लिए एक समझौता किया गया था। ओईआरसी ने 2015 में आरआईएल के लाइसेंस को रद्द करने के दौरान अपने आदेश में कहा था कि ‘इन तीन कंपनियों में ग्रिडको की 49 फीसदी हिस्सेदारी थी, जबकि आरआईएल की 51 फीसदी हिस्सेदारी थी। उम्मीद की जा रही थी कि आरआईएल डिस्कॉम के प्रदर्शन में सुधार के लिए पर्याप्त धन का निवेश करेगी। लेकिन इसने धीरे-धीरे आरआईएल ने अपनी हिस्सेदारी को घटाकर 0.002 प्रतिशत कर दिया और अपने शेयरों को उन कंपनियों को हस्तांतरित कर दिया, जिन्हें बिजली क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं था।