ताकि महाराष्ट्र की घटना न हो बिहार में

पटना। बिहार में अन्ततः भाजपा- जदयू गठबन्धन टूट गया और नया महागठबन्धन अस्तित्व में आ गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सहयोगी दलों के नेताओं के साथ राज्यपाल फागू चौहान से भेंट कर अपना त्यागपत्र सौंप दिया है। पिछले डेढ़ वर्षों से भाजपा और जदयू के रिश्तों में कटुता आ गई थी और अनेक मुद्दों पर दोनों दल आमने- सामने आ गए थे।

जदयू को आशंका थी कि भाजपा उसकी पार्टी को तोड़ने की साजिश रच रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महाराष्ट्र की घटना से सबक लेते हुए काफी सतर्क हो गये थे और वह यह नहीं चाहते थे कि बिहार में महाराष्ट्र की घटना की पुनरावृत्ति हो। इसे देखते हुए ही उन्होंने पार्टी के पूर्व नेता आरसीपी सिंहको पार्टी से बाहर कर दियाजिन्हें जदयू कोटे से केन्द्र में मंत्री पद दिया गया था।

नए महागठबन्धन में राजदकांग्रेसजीतन राम मांझी की पार्टी हम के साथ वामपंथी भी शामिल हैं। जहां तक संख्या बल का प्रश्न है उसमें महागठबन्धन काफी आगे है। पिछले विधानसभा चुनाव में 79 सीटोंके साथ राजद सबसे बड़ी पार्टी रहीजबकि भाजपा को 77जदयू को 45 सीटेंकांग्रेस को 19 और हम को चार सीटें मिली थीं।

बहुमत का आंकड़ा 122 हैजबकि चार दलों को मिलाकर यह आंकड़ा 147 है। अन्य दलों को मिलाकर यह संख्या 160 हो जाएगी। नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनने वाली नए सरकार में राजद नेता तेजस्वी यादव उपमुख्य मंत्री का पद सम्भालेंगे और अन्य घटक दलों की भी सत्ता में भागीदारी होगी। राजद और जदयू का पुराना सम्बन्ध है। नीतीश कुमार की सरकार में तेजस्वी यादव पहले भी उपमुख्य मंत्री रह चुके हैं। इस बार तेजस्वी यादव मजबूत हैसियत के साथ सरकार में भागीदारी करेंगे। नई सरकार पर चुनौतियां भी अधिक  होंगी जिसके लिए कड़ी मेहनत और बेहतर प्रदर्शन की जरूरत है।

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