लड़नी है चौथी लहर की लड़ाई…

नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण को लेकर आ रहे फिर नए मामलों में उतार-चढ़ाव का क्रम शुरू हो गया है। इस आंकड़े ने देश को एक बार फिर एलर्ट मोड में डाल दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से एक आंकड़ा जारी किया गया है जिसमें बताया गया है कि  24 घंटे के दौरान देश में कोरोना के 1247 मामले आए हैं। एक  दिन पहले 2183 मामले मिले थे।

कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं तो कभी घट रहे हैं। इधर सक्रिय मामलों की संख्या भी अब बढ़कर 12632 हो गए हैं। पॉजिटिव रेट .09 फीसदी तक चल रहा है। पहले के मामलों में 98 फ़ीसदी लोग ठीक होकर घर जा चुके है। देश में कुल 24 घंटों के दौरान 4,95,364 टेस्ट किए गए जिसमें यह मामले उजागर हुए हैं।

कुल मिलाकर कहना यह है कि देश में कोरोना की चौथी लहर की आशंका अब बढ़ती नजर आ रही है। आगे इसका स्वरूप कैसा होगा और इसकी पीक कब होगी यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। हालांकि अगर मामले बढ़ रहे है तो इसे कमजोर मान कर निश्चिंत होना भी ठीक नहीं है इससे बचाव के लिए तैयारी की जानी चाहिए।

आईआईटी कानपुर के प्रख्यात वैज्ञानिक प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा है कि चौथी लहर तो दिखने लगी है लेकिन ऐसा लगता है तो उसका असर बहुत घातक नहीं होगा। उनका यह भी मानना है कि कोरोना के नए मामलों में बढ़ोतरी हो रही है और इसका एक कारण यह भी है कि जो कोरोना को लेकर प्रतिबंध लगाए गए थे उसे हटाया जा रहा है। लोग लापरवाह होने लगे हैं। इस लहर के घातक नहीं होने का एक आधार यह भी है कि देश में बड़े पैमाने पर लोगों का वैक्सीनेशन किया गया है। जिसका भी असर दिखाई देगा क्योंकि लोगों की इम्यूनिटी बढ़ी हुई है।

टीकाकरण की दयनीय दशा में भी पिछली बार की लहर में करीब 90 फीसदी लोग ठीक हो कर घर जा चुके हैं। इसी क्रम में एम्स दिल्ली के वरिष्ठ प्रोफेसर डाक्टर संजय राय का कहना है कि चौथी लहर की आहट तो हो चुकी है लेकिन बहुत चिंता या घबराने की बात नहीं है। देश में 186.75 करोड़ करोना के डोज लग चुके हैं। अभी बुजुर्गों तथा आम लोगों को बूस्टर डोज भी लगाया जा रहा है। अब इसे कोरोना के प्रति लापरवाही तो नहीं मानी जाएगी लेकिन हां जो प्रतिबंध लगाए गए हैं उन्हें धीरे-धीरे फिर लगाना जरूरी होगा। मास्क की अनिवार्यता को बहुत जरूरी करना चाहिए। शुरुआती दौर में ही बचाव की हर व्यवस्थाको दुरुस्त कर लेना ही बेहतर होगा।

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