पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सुमार्ग या सन्मार्ग क्या है ? धर्म शास्त्र कहते हैं कि- जो मार्ग संसार की बुराइयों की ओर न जाकर ईश्वर की ओर जाता है, सन्मार्ग कहलाता है। ‘ महाजनो येन गतः स पंथः ।’ महापुरुष जिस मार्ग से गये हैं वही सुमार्ग है। वेदों द्वारा बताया गया मार्ग भी सुमार्ग है। कुमार्ग क्या है ? धर्म शास्त्र कहते हैं कि-‘ उत्पथश्चित्तविक्षेपः । ‘ चित्त ईश्वर से हटकर संसार की बुराइयों की ओर चल पड़े तो वही चित्त कुमार्गगामी कहा जाता है। कुमार्ग चित्त की बहिर्मुखता का मार्ग है। चित्त की वृत्तियों का प्रवाह जब बाहर की ओर बहने लगे अर्थात् संसार में भटकने लगे तो समझ लेना चाहिए कि यह कुमार्ग पर जा रहा है। यदि यह प्रवाह भीतर की ओर है तो सुमार्ग है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)