धर्मशाला। आज मेरा नियमित स्वास्थ्य चेकअप के लिए दिल्ली जाने का कार्यक्रम था, लेकिन मैं नहीं जा रहा हूं। मैं बिल्कुल स्वस्थ हूं और अपने डॉक्टर को बॉक्सिंग के लिए भी चुनौती दे सकता हूं। तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा ने यह बात अपने शुभचिंतकों को अपने स्वास्थ्य के प्रति निश्चिंत करते हुए कही।
कोरोना के चलते दलाईलामा दो वर्षों के लंबे अंतराल के बाद अपने अनुयायियों को पहली बार ऑफलाइन टीचिंग दे रहे थे। उन्होंने कहा कि तिब्बत में पवित्र लोसर पर्व के बाद जातक कथाओं के वाचन की परंपरा रही है। इस दौरान उन्होंने उपस्थित लोगों को महात्मा बुद्ध के पूर्व जन्म की कथाओं की संक्षेप शिक्षा भी दी।
8वीं शताब्दी के राजा ने बौद्ध धर्म के करीब 100 सूत्रों और 200 शास्त्रों का तिब्बती भाषा में अनुवाद करवाया। इस प्रकार करीब 300 पोथियों के साथ तिब्बती भाषा में एक समृद्ध साहित्य है। उन्होंने कहा कि चीनी खाना निश्चित तौर पर स्वादिष्ट है, लेकिन जहां अक्षर की बात है तो तिब्बती भाषा सबसे श्रेष्ठ है। उन्होंने कहा कि तिब्बती भाषा हमारे लिए गर्व का विषय है।