योग। सर्दियों में सेहत को लेकर विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत होती है, तापमान गिरने के कारण कई प्रकार की दिक्कतों के ट्रिगर होने का जोखिम रहता है। इस मौसम में अस्थमा और सांस की समस्याओं से परेशान लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते है कि अस्थमा के मरीजों के लिए सर्दी का मौसम मुश्किल समय वाला हो सकता है। ठंडी, शुष्क हवा और मौसम में अचानक बदलाव आपके वायुमार्ग के लिए समस्याओं को बढ़ा देती है, जिससे अधिक बलगम पैदा हो सकता हैं। जिन लोगों को पहले से ही सांस की बीमारियां हैं उनको और भी अलर्ट रहना चाहिए।डॉक्टर के अनुसार, अस्थमा ट्रिगर होने पर सांस लेने में कठिनाई महसूस होने लगती है, ऐसे में इसकी दवाइयों और ट्रिगर होने से बचाने वाले उपाय करते रहना बहुत आवश्यक है। अपने दिनचर्या में कुछ प्रकार के योगासनों को शामिल करके अस्थमा और सांस की अन्य जटिलताओं को कम किया जा सकता है।
अस्थमा से बचाव के लिए के लिए उपाय-
श्वसन रोग विशेषज्ञों के मुताबिक, यदि आपको अस्थमा की दिक्कत है तो इसे ट्रिगर होने से बचाने के लिए दवाइयों के साथ जीवनशैली को ठीक रखना भी आवश्यक है। सर्दियों के मौसम में शुष्क हवा के कारण यह खतरा बढ़ सकता है। अस्थमा से बचाव के लिए धूम्रपान छोड़ें और बाहर जाते समय मास्क पहनें। ठंड के मौसम में हीटर के सामने भी बहुत देर बैठने से भी सांस की दिक्कतें बढ़ सकती हैं, इसलिए बचाव पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। कुछ प्रकार के योगासनों के अभ्यास अस्थमा की जटिलताओं से बचाने में आपके लिए मददगार हो सकते हैं। आइए जानते है उन योगासनों के बारें में…
प्राणायाम :-
योग विशेषज्ञ बताते है कि योगासन विशेषकर प्राणायाम के अभ्यास से अस्थमा की समस्या में लाभ पाया जा सकता है। वायुमार्ग को साफ करने और सांस की जटिलताओं को कम करने के लिए कपालभाति और भस्त्रिका प्राणायाम किया जाता है। ये अभ्यास आपके फेफड़ों की ताकत और सहनशक्ति को बढ़ाने में मददगार हैं। श्वसन विकारों में प्राणायाम का अभ्यास विशेष लाभकारी माना जाता है।
भुजंगासन और सेतुबंधासन :-
अस्थमा और सांस की समस्या के जोखिम को कम करने के लिए भुजंगासन और सेतुबंधासन का अभ्यास भी फायदेमंद हो सकता है। भुजंगासन अभ्यास फेफड़ों को स्ट्रेच करके वायुमार्ग को खोलने में मदद करता है जिससे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है, वहीं सेतुबंधासन योग से फेफड़ों की सहनशक्ति को बढ़ाने में मदद मिलती है। ये दोनों अभ्यास सांस की समस्याओं के जोखिम को कम कर सकते हैं। हालांकि इनके अभ्यास से पहले विशेषज्ञों की सलाह जरूर ले लेनी चाहिए।