इस साल के आखिर तक भारत को सौंपी जा सकती है एस-400 की पहली रेजिमेंट

नई दिल्ली। रूस की सरकारी सैन्य फर्म रोसोबोरोन एक्सपोर्ट के महानिदेशक अलेक्जेंडर मिखेव ने सोमवार को कहा कि रूस की विमान-रोधी मिसाइल प्रणाली वायु रक्षा (पीआरओ) एस-400 की पहली रेजिमेंट 2021 के अंत तक भारत को सौंप दी जाएगी। उन्होंने कहा कि डिलीवरी समय से पहले शुरू हो गई है। रोसोबोरोने एक्सपोर्ट के प्रमुख ने समाचार एजेंसी टीएएसएस को बताया कि भारतीय विशेषज्ञ पहले ही रूस में प्रशिक्षण पूरा कर चुके हैं और स्वदेश लौट चुके हैं। अलेक्जेंडर मिखेव ने कहा कि कई रूसी विशेषज्ञ जनवरी की शुरूआत में भारत का दौरा करेंगे और उन जगहों की निगरानी करेंगे जहां पर हथियारों को तैनात किया जाएगा। रोसोबोरोन एक्सपोर्ट के प्रमुख ने दुबई एयर शो से इतर कहा कि भारतीय विशेषज्ञ जो पहले रेजिमेंट सेट का संचालन करेंगे, उन्होंने अपना प्रशिक्षण पूरा कर लिया है और स्वदेश लौट आए हैं। रोसोबोरोन एक्सपोर्ट के महानिदेशक ने कहा कि कंपनी एस-400 विमान-रोधी मिसाइल प्रणाली की संभावित आपूर्ति पर सात भागीदारों के साथ परामर्श कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को मिसाइल सिस्टम के उपकरणों की आपूर्ती तय समय से पहले शुरू हो गई है और पहली एस-400 रेजिमेंट की डिलीवरी साल के अंत तक कर दी जाएगी। अलेक्जेंडर मिखेव ने कहा कि पहले रेजिमेंट सेट की सभी सामग्री 2021 के अंत तक भारत पहुंचा दी जाएगी। नए साल के तुरंत बाद, हमारे विशेषज्ञ उन जगहों पर उपकरण सौंपने के लिए भारत पहुंचेंगे जहां इसे तैनात किया जाएगा। उनकी यह टिप्पणी रूसी सैन्य-तकनीकी सहयोग के लिए संघीय सेवा के निदेशक दिमित्री शुगेव द्वारा दिए गए बयान के एक दिन बाद आई है। दिमित्री शुगेव वे कहा था कि रूस ने भारत को S-400 मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी शुरू कर दी है। एफएसएमटीसी रूसी सरकार का मुख्य रक्षा निर्यात नियंत्रण संगठन है। भारत ने एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की पांच इकाइयां खरीदने के लिए रूस के साथ अक्तूबर 2018 में पांच अरब डॉलर (लगभग 35 हजार करोड़ रुपये) का समझौता किया था। इस पर तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को चेतावनी दी थी कि समझौते पर आगे बढ़ने पर अमेरिका प्रतिबंध लगा सकता है। भारत ने लगभग 80 करोड़ डॉलर के भुगतान की पहली किस्त 2019 में जारी की थी। एस-400 को रूस की सबसे उन्नत लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल रक्षा प्रणाली के रूप में जाना जाता है। इस मिसाइल प्रणाली की खरीद को लेकर तुर्की पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद, ऐसी आशंकाएं रही हैं कि भारत पर भी अमेरिका इसी तरह के प्रतिबंध लागू कर सकता है।

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