वीआईपी के लिए नहीं इस बार दृष्टिबाधित बच्चों के लिए पुलिस ने लगाई स्पेशल ड्यूटी

मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश के देवास की माता टेकरी पर उस समय लोग हैरान हो गए जब गोल घेरे में कुछ युवक-युवतियां चल रहे थे और पुलिस उन्हें सुरक्षा दे रही थी। एकबारगी लगा कि कोई वीआईपी आया होगा, जिसके लिए खुद पुलिस ने यह जिम्मा उठाया है। लेकिन जब हकीकत पता चली तो हर कोई कहने लगा सैल्यूट टू देवास पुलिस। दरअसल मध्यप्रदेश के देवास जिले में पुलिस ने अलग चेहरा दिखाया। दृष्टिबाधित बच्चों की वर्षों की हसरत को पूरा करवाया और न सिर्फ मदद की बल्कि परिजन बनकर उन्हें किसी तरह की तकलीफ नहीं आने दी। इंदौर के एक विद्यालय में दृष्टिबाधित विद्यार्थी पढ़ते हैं। हर साल नवरात्रि में इनके मन में इच्छा होती है कि देवास चलकर माता के दर्शन करें लेकिन आने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। इस बार किसी ने पुलिस से मदद मांगने का सुझाव दिया। बच्चों को आंखों में रोशनी की उम्मीद दिखी और देवास पुलिस अधीक्षक डॉ. शिवदयाल सिंह का मोबाइल नंबर जुटाया। एसपी को फोन कर कहा कि सर हम माता के दर्शन के लिए आना चाहते हैं लेकिन कैसे आएं। क्या आप हमारी मदद कर सकते हैं, ताकि हम टेकरी पर दर्शन कर सकें। क्योंकि हम देख नहीं सकते हैं। भीड़ में कैसे जाएंगे। इस पर एसपी डॉ. सिंह ने बिना देर किए बच्चों से कहा कि आप लोग देवास आकर बात कीजिए, मैं दर्शन करवाउंगा। एसपी से हुई बातों से बच्चों को हौसला मिला और सभी बच्चे बस के माध्यम से देवास पहुंचे। यहां पहुंचकर एसपी को कॉल किया। एसपी ने पांच पुलिसकर्मियों को विशेष रूप से उन बच्चों के लिए लगाया। ये पुलिसकर्मी बच्चों को अपने साथ माता टेकरी लेकर गए। गोल घेरा बनाया ताकि बच्चों को चलने में परेशानी न हो। टेकरी जाकर सभी मंदिरों के दर्शन करवाए और जब नीचे उतरे तो बच्चों को फलाहार भी करवाया। सालों की हसरत पूरी होते देख बच्चे प्रसन्न हुए और देवास पुलिस को धन्यवाद देकर इंदौर लौट गए। डीएसपी किरण शर्मा ने बताया कि इंदौर से लगभग 15 दृष्टि दिव्यांग बच्चों को पुलिस ने दर्शन करवाए। बच्चों ने एसपी से बात करके सहायता मांगी थी। इस पर उनसे कहा कि आप लोगों को रोप वे से दर्शन करवा देंगे लेकिन छात्रों का कहना था कि वे पैदल दर्शन करना चाहते हैं। इसके बाद पांच पुलिसकॢमयों की स्पेशल ड्यूटी लगाई जो बच्चों को सुरक्षित रूप से माता टेकरी लेकर गए और वापस नीचे लाए। बच्चों ने बताया कि वे हर साल आना चाहते हैं, लेकिन आ नहीं पाते। इस साल पुलिस की सहायता से उनका दर्शन का सपना पूरा हुआ।

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