Supreme Court news updates: सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने बिहार के शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव केके पाठक को जमानती वारंट जारी करने के लिए पटना हाईकोर्ट के फैसले पर आपत्ति जताई और आदेश पर रोक लगा दी। कोर्ट ने राज्य सरकार की अपील पर यह आदेश दिया।
दरसल, राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एएन एसनाडकर्णी और वकील ऋषि कावस्थी ने 143 मामलों में एचसी के एक न्यायाधीश के आदेश को रिकॉर्ड पर रखा, जिसमें राज्य सरकार के अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया गया था। सरकारी अधिकारी अदालत के आदेश को लागू करने के लिए बाध्य हैं और अवज्ञा के लिए उन्हें तलब किया जा सकता है, वहीं, सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि तलब करने के आदेश अनावश्यक रूप से पारित नहीं किए जाने चाहिए।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाई केार्ट के सरकारी अधिकारियों को किसी मामले में पेशी के लिए ‘तुरंत न बुलाने’ का निर्देश दिया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘कोर्ट में उनकी उपस्थिति कीमती समय बर्बाद करती है जिसका उपयोग अन्यथा नागरिकों को सेवा प्रदान करने के लिए किया जा सकता है। अचानक इस तरह के निर्देश जारी करना इसे कमजोर करता है।’ पटना हाई कोर्ट के न्यायाधीश पीबी बजनथ्री की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने अवमानना से संबंधित मामले में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को 13 जुलाई को हर हाल में कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था। यह आदेश एक सात साल पुराने मामले में दिया गया था।
आपको बता दें कि नालंदा जिला निवासी शिक्षक को प्रोन्नत कर प्रधानाध्यापक बनाया गया था, जिसका लाभ देना था। याचिकाकर्ता का आरोप है कि अदालती आदेश के बावजूद उन्हें नियमित शिक्षक का वेतन नहीं देकर नियोजित शिक्षक का वेतन दिया गया। इसी सिलसिले में शिक्षा विभाग से जानकारी लेने के लिए पटना हाई कोर्ट ने केके पाठक को कई बार उपस्थित होने का आदेश दिया, लेकिन वह उपस्थित नहीं हुए। इसके बाद हाई कोर्ट ने केके पाठक के इस रवैये को अदालती आदेश की अवमानना करार दिया और उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी करने का निर्देश दिया। केके पाठक की ओर से पटना हाई कोर्ट द्वारा जारी जमानती वारंट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।