परमात्मा के नाम अनंत है और रूप भी: दिव्य मोरारी बापू

पुष्‍कर/राजस्‍थान। परम पूज्‍य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रेयांसि बहु विघ्नानि, शास्त्र का वचन है, शुभ कार्यों में बहुत विघ्न आते हैं. आप साधना करने चले हैं, ईश्वर प्राप्ति के लिये चले हैं, विघ्न आयेंगे, बहुत आएंगे, इसलिए लिखा है. पहले श्री गणेश जी का पूजन कर लेना चाहिए. एक ही सच्चिदानंद तत्व पंचदेव हैं. सबके कार्य अलग-अलग हैं. विघ्नों का निवारण कौन करेगा? उसके लिये श्री गणेश जी का पूजन जरूरी है.

सारे पुराण पढ़ने से निश्चित हो जाता है कि जो विशेषण भगवान् राम के हैं, श्री कृष्ण के हैं, जो विष्णु के हैं, वही शिव के हैं. वही शक्ति के हैं, वही श्री गणेश जी के भी हैं. इसका मतलब यह है कि पांचों देवता एक ही है. इन्होंने तत् तत् कार्यों के लिए अपने अलग-अलग स्वरूप बना लिए.

परमात्मा के नाम अनंत है और रूप भी अनंत है. लेकिन, परमात्मा एक ही हैं. सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना. श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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