30 देशों में लड़ी कुश्ती, मगर नहीं देखा एक भी टूरिस्ट स्पॉट

गोरखपुर। टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक हासिल कर देश का नाम रोशन करने वाले हरियाणा के पहलवान बजरंग पूनिया किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। फ्री स्टाइल कुश्ती में इस खिलाड़ी ने अपनी लगन और प्रतिभा के दम पर कुश्ती के अंतरराष्ट्रीय फलक पर देश का नाम रोशन किया है। खेल के प्रति समर्पण का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने विभिन्न प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए 30 देशों की यात्रा की है। मगर वहां के किसी भी टूरिस्ट स्पॉट को नहीं देखा। टीम के दूसरे खिलाड़ी कहीं बाहर घूमने फिरने जाते हैं तो बजरंग इसमें रुचि नहीं लेते हैं। बल्कि उस समय का इस्तेमाल भी अपनी प्रैक्टिस को देते हैं। भारतीय कुश्ती टीम के कोच और प्रो रेसलिंग लीग में पंजाब रॉयल्स के कोच चंद्रविजय सिंह ने बताया कि दो वर्षों से लगातार पंजाब की टीम प्रो रेसलिंग लीग में अच्छा प्रदर्शन कर रही है। खिलाड़ियों को कोचिंग देने के दौरान बजरंग पूनिया को करीब से जानने का मौका मिला। अपने 65 किलो वजन में सबसे दमदार खिलाड़ी बजरंग की खासियत है कि वो विरोधी पहलवान को थका थकाकर बाजी पलट देते हैं। स्टैमिना को बनाए रखने के लिए बजरंग साथी खिलाड़ियों के प्रैक्टिस के बाद भी मैट पर एक से दो घंटे का ज्यादा समय देते हैं। साथ ही साथ सोशल मीडिया से दूरी बनाकर रखा है। कैंप में वे प्रतिदिन सुबह तीन से साढ़े तीन घंटे वार्मअप, जिम व स्प्रिंट करते हैं। उसके बाद शाम को मैट पर करीब तीन घंटे तक अभ्यास करते हैं। सुबह या शाम को इतने कड़े अभ्यास के बाद भी उनके चेहरे, शरीर या हाव-भाव पर कहीं भी थकान नहीं दिखता। रेलवे की ओर से खेलने वाले बजरंग ने वर्ष 2013 विश्व चैंपियनशिप के दौरान मुलाकात हुई थी। तब उन्होंने सिल्वर मेडल जीता था। उस जीत के बाद उन्होंने पलटकर नहीं देखा। उन्होंने बताया कि बजरंग को निखारने में छत्रसाल स्टेडियम के ही ओलंपियन योगेश्वर दत्त का बहुत बड़ा रोल है। शुरू से ही योगेश्वर उन्हें बहुत मानते थे। सामान्य कृषक परिवार के बजरंग को योगेश्वर ने हमेशा मदद की है।

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