प्रयागराज। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, नई दिल्ली ने प्रयागराज में सिलिका सैंड के अवैध खनन की शिकायत पर कड़ा रुख अपनाया है। अधिकरण ने प्रयागराज के शंकरगढ़ और आसपास के इलाकों में अवैध सिलका खनन की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। प्रयागराज के देवदास खत्री की अर्जी पर अधिकरण के चेयरमैन न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य डॉक्टर नागिन नंदा की तीन सदस्यीय पीठ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड , स्टेट एनवायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी और जिलाधिकारी प्रयागराज की संयुक्त कमेटी गठित कर मामले की जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। केंद्र और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इसमें नोडल एजेंसी की तरह काम करेंगे। अधिकरण ने इन सभी एजेंसियों को अपने उच्च पदस्थ अधिकारियों को जांच के लिए नामित करने का निर्देश दिया है। कमेटी को 15 दिन के भीतर बैठक कर मौके पर जाकर निरीक्षण करना होगा। अधिकरण कहा है कि जांच कमेटी इस मामले से जुड़े सभी पक्षों से संपर्क करें और अपने वैधानिक अधिकारों का प्रयोग कर उपचारात्मक उपाय करें। कमेटी के सदस्यों को अन्य संबंधित अधिकारियों व व्यक्तियों की भी सहायता लेने का निर्देश दिया गया है। कमेटी को अपनी जांच व की गई कार्रवाई से तीन माह में अधिकरण को अवगत कराना होगा। ग्रीन ट्रिब्यूनल के समक्ष दाखिल अर्जी में कहा गया है कि प्रयागराज के शंकरगढ़, परवेजबाद, लालापुर, जनवा, धारा आदि इलाकों में बड़े पैमाने पर अवैध खनन किया जा रहा है। इस क्षेत्र में चल रहे सैकड़ों सिलिका वाशिंग प्लांट में भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन किए जाने और गैर वैज्ञानिक तरीके से किए जा रहे खनन के कारण क्षेत्र के पर्यावरण व जन स्वास्थ्य को गंभीर खतरा पैदा हो गया है। क्षेत्र में खनन माफियाओं द्वारा 500 से अधिक अवैध खनन की गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। जबकि लगभग 100 सिलिका सैंड वाशिंग प्लांट भी इस कार्य में लगे हुए हैं। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की ओर से बालू खनन को लेकर गाइड लाइन भी जारी की गई है, मगर राज्य प्राधिकारियों द्वारा इसकी अनदेखी की जा रही है।