वाराणसी। नई शिक्षा नीति के अनुसार विश्वविद्यालयों में छात्रों को अब च्वॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) के बाद एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (एबीसी) की शुरुआत की जाएगी। यूजीसी का पत्र मिलने के बाद संभावना जताई जा रही है कि विश्वविद्यालयों में इसकी शुरूआत होगी। हर विद्यार्थी अपना एक एकेडमिक क्रेडिट अकाउंट खोल सकेगा। इसके स्कोर के आधार पर वह न सिर्फ विषय बदल सकेगा, बल्कि पढ़ाई के दौरान गैप लेने के बाद फिर से इसे शुरू कर सकेगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से जारी एकेडमिक क्रेेडिट बैंक के अनुसार यह बैंक के जमा खाते की तरह ही होगा। इसमें क्लास वर्क और ट्यूटोरियल्स के आधार पर तैयार छात्रों के एकडेमिक क्रेडिट को स्टोर किया जाएगा। एबीसी की मदद से कोई भी छात्र उच्च शिक्षण संस्थानों में मल्टीपल एंट्री और एक्जिट विकल्पों का लाभ उठा सकता है। वह एक संस्थान में एक वर्ष में एक पाठ्यक्रम चुन सकता है और अगले वर्ष किसी दूसरे में स्विच कर सकता है। छात्रों को एक ही समय में कई कॉलेजों और यूनिवर्सिटी में उनकी पसंद के विषय सीखने में मदद करेगा। इससे रचनात्मकता, नवाचार, सोच का स्तर और महत्वपूर्ण विश्लेषण की क्षमता आदि बढ़ने के रूप में पढ़ने-सीखने के वांछित नतीजे सामने आएंगे। काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. एके त्यागी ने बताया कि यह बदलाव छात्रों के लिए लाभप्रद होंगे। छात्रों के सीखने और अध्ययन की सीमाओं का विस्तार होगा।