नई दिल्ली। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने वनक्षेत्र संरक्षण, वन्यजीव क्षेत्रों में पर्यटन के साथ गंगा और सिंधु नदी में डॉल्फिन और अन्य जीवों के संरक्षण के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ये दिशानिर्देश वन, वन्यजीव व पर्यावरणीय संवेदनशील क्षेत्रों में लागू होंगे। साथ ही, डॉल्फिन की गिनती के लिए गाइड जारी की गई है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि नए दिशानिर्देशों से प्रकृति और वन्यजीव संरक्षण की बेहतर समझ को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही इन क्षेत्रों में रहने वाले समुदायों को आजीविका के बेहतर अवसर मुहैया कराने में मदद मिलेगी। यादव ने कहा कि नए दिशानिर्देश स्थानीय अर्थव्यवस्था को समृद्ध करने पर जोर देते हैं, ताकि स्थानीय समुदायों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिले। इसके साथ ही आर्थिक रूप से व्यावहारिक मूल्य शृंखलाओं के जरिये स्थानीय सामग्री के सतत उपयोग को बढ़ावा देकर ईको टूरिज्म के हितधारकों के बीच साझेदारी को प्रोत्साहित करते हुए स्थानीय समुदायों के साथ इसके लाभ को साझा करने का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा प्रत्येक संरक्षित क्षेत्र में स्थानीय समुदायों के साथ राजस्व के बंटवारे को रेखांकित करने की नींव भी दिशा-निर्देशों में रखी गई है। पर्यावरण मंत्री ने गंगा और सिंधु नदी में डॉल्फिन, संबद्ध जलीय जीव और उनके प्राकृतिक आवास की निगरानी के लिए फील्ड गाइड जारी करते हुए कहा, डॉल्फिन के संरक्षण से भारत में संपूर्ण जलीय पारिस्थितिकी तंत्र और उस पर निर्भर लोगों का भला होगा। असम, बंगाल, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और पंजाब में डॉल्फिन गणना में तालमेल के लिए फील्ड गाइड के जरिये देश में पहली बार एक मानकीकृत निगरानी प्रोटोकॉल बनाया गया है।