नई दिल्ली। द इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (ईआईयू) ने भारत सरकार के उस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है, जिसमें उसने लोकतंत्र सूचकांक के लिए सरकारी डाटा का उपयोग करने के लिए कहा था। संस्था ने भारत सरकार के प्रस्ताव पर जवाब देते हुए कहा कि इस प्रक्रिया से लोगों के मन में संदेह पैदा होगा। इसलिए यह उचित नहीं होगा। वहीं ईआईयू के प्रधान अर्थशास्त्री (एशिया) ने भारत सरकार के अधिकारियों को सूचित किया कि सूचकांक के लिए स्कोरिंग देश में विकास के आधार पर किया गया था और इसे सार्वजनिक रूप से किया गया था और इसी प्रक्रिया को आगे अपनाई जाएगी। बता दें कि भारत वर्ष 2020 के लोकतंत्र सूचकांक की वैश्विक रैंकिंग में दो स्थान फिसलकर 53वें स्थान पर पहुंच गया था। बता दें कि द इकोनॉमिस्ट इंटेलीजेंस यूनिट (ईआईयू) ने कहा था कि लोकतांत्रिक मूल्यों से पीछे हटने और नागरिकों की स्वतंत्रता पर कार्रवाई को लेकर भारत पिछले साल की तुलना में दो पायदान फिसला है। इस रैेकिंग पर भारत सरकार ने सवाल भी उठाया था। मीडिया रिपोर्ट द्वारा समीक्षा किए गए दस्तावेजों के अनुसार केंद्र सरकार ने लंदन में भारतीय उच्चायोग को ईआईयू से लोकतंत्र सूचकांक (डीआई) का मूल्यांकन तंत्र, पद्धति, नमूना आकार, लेखकों का विवरण और एजेंसियां जिनका इस्तेमाल इस इंडेक्स को बनाने के लिए किया गया था के बारे में जानकारी प्राप्त करने को कहा था। बता दें कि इससे पहले कानून मंत्रालय ने 15 जुलाई को राज्यसभा सचिवालय को एक पत्र लिखकर कहा था कि एक सांसद द्वारा ‘लोकतंत्र सूचकांक में भारत की स्थिति’ पर पूछे गए एक प्रश्न को अस्वीकार कर दिया जाए, जिसका उत्तर 22 जुलाई को दिया जाना था। केंद्रीय कानून मंत्रालय ने इसे लेकर तर्क दिया था कि ये सवाल ‘बेहद संवेदनशील प्रकृति’ का है, इसलिए हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते।