जम्मू-कश्मीर। जम्मू-कश्मीर में गुज्जर-बक्करवाल और गद्दी-सिप्पी जनजातीय समुदाय के लोगों को बेहतर रहन-सहन की सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए पूरे प्रदेश में आठ स्थानों पर ट्रांजिट आवास बनाए जाएंगे। इस पर 28 करोड़ रुपये खर्च होंगे। यहां इन्हें मेडिकल कैंप के साथ ही मवेशियों के लिए यार्ड की सुविधा भी उपलब्ध होगी। जम्मू, श्रीनगर व राजोरी में जनजातीय भवन बनेंगे। यह घोषणा उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने राजभवन में गुज्जर-बक्करवाल समुदाय के प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाकात में की। उन्होंने आश्वस्त किया कि सभी जनजातीय समुदायों को उनका हक दिलाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि जनजातीय युवाओं की आजीविका के लिए 1500 लघु भेड़ पालन केंद्र की स्थापना का फैसला किया गया है। इसके अलावा 16 करोड़ की लागत से 16 दुग्ध गांवों की स्थापना की जाएगी। प्रारंभ में व्यावसायिक पायलट और प्रबंधन के क्षेत्र में 500 युवाओं को क्षमता निर्माण कार्यक्रम से जोड़ा जाएगा। जनजातीय बच्चों को 30 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति दी गई है। प्रति वर्ष 42 हजार विद्यार्थियों को इसका लाभ दिया जा रहा है। जनजातीय समुदाय के बच्चों के लिए 1521 सीजनल स्कूल खोले गए हैं। दो आवासीय स्कूल भी खोले गए हैं, जिन रास्तों से इस समुदाय के लोग मवेशियों के साथ आते-जाते हैं। सातवीं व आठवीं के बच्चों को आठ हजार टैबलेट दिए गए हैं। उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के इतिहास में पहली बार जनजातीय समुदाय के लोगों को वन उत्पादों का अधिकार मिला है। केंद्र शासित प्रदेश ने ट्राईफेड के साथ मिलकर इन उत्पादों को इकट्ठा करने, पैकेजिंग और वितरण का ढांचा तैयार किया गया है। युवाओं और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए 15 जनजातीय स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया है। वन अधिकार के तहत लोगों को अधिकार पत्र सौंपे गए। जनजातीय समुदाय के जीवनस्तर को सुधारने के लिए दो महीने का सर्वे कराया गया है ताकि जमीनी हकीकत को जानते हुए प्रभावी नीति बनाई जा सके।