नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि भारतीय सेना में 72 महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के मुद्दे को जल्द से जल्द सुलझाए। शीर्ष अदालत ने कहा कि परमानेंट कमीशन का अनुदान इस वर्ष 25 मार्च के आदेश के संबंध में होना चाहिए और उसके बाद महिला अधिकारियों की ओर से दायर अवमानना मामले को बंद कर दिया जाएगा। न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और बीवी नागरत्न की पीठ ने अतिरिक्स सॉलिसिटर जनरल संजय जैन और वरिष्ठ अधिवक्ता आर बालासुब्रमण्यम से कहा कि कि इस मामले में निजी तौर पर दखल दें। अदालत ने कहा कि हमारा आदेश साफ था कि अगर महिला अधिकारी को 60 फीसदी से अधिक अंक मिलते हैं और वो मेडिकल फिटनेस जांच पास कर लेती हैं और विजिलेंस और डिसिप्लनरी से उन्हें क्लीयरेंस मिल जाता है जो उन्हें परमानेंट कमीशन देने पर विचार करने की जरूरत है। सतीश जैन ने अदालत को बताया कि उन्होंने इस संबंध में एक हलफनामा दायर किया है जो दिखाता है कि उनके आचरण पर विशेष चयन बोर्ड ने विचार किया था और उन्हें स्थायी कमीशन के लिए योग्य नहीं पाया था। पीठ ने कहा कि हमने यह भी कहा है कि परमानेंट कमीशन का अनुदान विजिलेंस और डिसिप्लिनरी क्लीयरेंस के आधार पर दिया जाएगा। यह भारतीय सेना का मुद्दा है। पीठ ने आगे कहा कि हम विजिलेंस क्लीयरेंस की अहमियत जानते हैं। हम भी इस देश के सैनिक हैं। इसके बाद अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने प्रस्ताव दिया कि अतिरिक्त हलफनामे दाखिल करने के लिए उन्हें कुछ समय दिया जाना चाहिए। पीठ ने पूछा है कि क्या इन 72 महिला अधिकारियों को 60 फीसदी से अधिक नंबर मिले हैं या नहीं।