हैदराबाद। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय समन्वय बैठक शुक्रवार को हैदराबाद में संपन्न हुई। बैठक में प्रतिनिधियों ने भारत केंद्रित’ शिक्षा, रोजगार सृजन और कुपोषण उन्मूलन सहित अन्य बातों पर चर्चा की। यह बैठकें हर साल जनवरी और सितंबर में आयोजित की जाती हैं। इस दौरान आरएसएस महासचिव मनमोहन वैद्य ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि बैठक में 36 स्वतंत्र संगठनों ने हिस्सा लिया। हालांकि इनमें 24 महिलाओं सहित 200 से अधिक प्रतिनिधियों के आने की उम्मीद थी , जिनमें से से 91 प्रतिशत ने भाग लिया। मनमोहन वैद्य ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर की तैयारी के लिए 10 लाख लोगों को प्रशिक्षित किया गया है। उन्होंने कहा कि महामारी की पहली लहर के दौरान संघ शकों को बंद कर दिया गया था, लेकिन अब उनमें से 55 हजार सक्रिय हैं और चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2019 की तुलना में 93 फीसदी जगहों पर आरएसएस का काम फिर से शुरू हो गया है। वहीं मनमोहन वैद्य ने कहा कि कई युवा संगठन की वेबसाइट के माध्यम से आरएसएस में शामिल होने की इच्छा व्यक्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2017 से 2021 के बीच एक लाख से अधिक लोगों ने आरएसएस में शामिल होने की इच्छा जताई। उन्होंने कहा कि आरएसएस की साठ फीसदी शाखाएं छात्रों और युवाओं के लिए हैं, जबकि बाकी सभी के लिए हैं। बता दें कि मनमोहन वैद्य ने यह भी दावा किया कि स्वयंसेवक समाजिक समरसता पहल के माध्यम से जातिगत भेदभाव को मिटाने के लिए काम कर रहे थे। वहीं भारत ऐतिहासिक रूप से एक कल्याणकारी राज्य नहीं रहा है। जरूरत पड़ने पर समाज ने सरकार से मदद मांगी है। रवींद्रनाथ टैगोर ने भी यही व्यक्त किया था। अंत में, मनमोहन वैद्य ने कहा कि आरएसएस का लक्ष्य भारत को दुनिया का सबसे महान और महान राष्ट्र बनाना है।