राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि परमात्मा ही अनेक रूपों में प्रगट हुए हैं। गणेश, सूर्य, विष्णु, शिव और शक्ति के रूप में। हमारे जीवन में सबकी आवश्यकता है। ईष्ट एक बना लेना, भगवान के सभी स्वरूपों के प्रति उपासना का भाव रखना। यह आपके भजन में सहायक बनेंगे, आने वाली विपत्तियों से, संकटों से, आपको बचाएंगे। मान लो हम राम भक्त हैं, कृष्ण भक्त हैं, शिव भक्त हैं, और हम कहें कि हमें सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता नहीं है। क्या हमारा गुजारा हो जाएगा, हम कह दें हमें वायु की जरूरत नहीं है। क्या हम जीवित रह सकेंगे, हमें पानी की जरूरत नहीं है, क्या हमारे जीवन का निर्वाह हो सकेगा। श्री हनुमान जी लंका जा रहे हैं, तो भगवान का स्मरण करते हैं। नमोऽस्तु रामाय सलक्ष्मणाय देव्यै च तस्यै जनकात्मजायै।
नमोऽस्तु रुद्रेन्द्रयमानिलेभ्यो नमोऽस्तु चन्द्राग्निमरुद्गणेभ्यः।। श्रीवाल्मीकि रामायण मैं भगवान राम को प्रणाम कर रहा हूं। मैं श्री लक्ष्मण जी को प्रणाम कर रहा हूं, मैं देवी सीता को प्रणाम कर रहा हूं, मैं रूद्र को प्रणाम कर रहा हूं, मै इन्द्र को प्रणाम कर रहा हूं, मैं यम को प्रणाम कर रहा हूं, अग्नि ,चंद्रमा, सूर्य, पंचदेव, वायु को प्रणाम कर रहा हूं। हनुमान जी राम भक्त हैं, लेकिन प्रणाम सबको कर रहे हैं। सब को नमस्कार कर रहे हैं, मैं लंका जा रहा हूं सब मिलकर मेरा सहयोग करें, ताकि मैं अपने उद्देश्य को पूर्ण करके वापस लौटूं। सनातन धर्म एक व्यापक धर्म है।
जो अनेक में एक देखने की बात करता है, सुर्य भी वही है, चंद्र, अग्नि, वायु, यम भी वही है। अगर आप यमराज में अपने ईश्वर को देखोगे तो यम के दूतों में भी उनको देखोगे, तो लाभ ही लाभ होगा। यम के दूत अंत में लेने आयेंगे तो क्या लगेगा हमारा ईष्ट इनके अंदर भी बैठा है। तो अंत में ईश्वर के स्मरण से कल्याण हो जायेगा। आप एक का ही ध्यान करते हो, मरते समय उसका ध्यान छूट गया, यमदूत तो दीखेंगे और आप सबमें अपने इष्ट को देख रहे हो तो यमदूत के बहाने भगवान का चिंतन होगा। तो जैसे पुत्र के नाम से अजामिल ने नारायण पुकारा, कल्याण हो गया। हमारा भी कल्याण हो जायेगा। जिस कार्य में जिसकी नियुक्ति है, उस कार्य में उसका सादर स्मरण करते रहना चाहिए। हिंदू धर्म में वहु देव बाद का यही रहस्य है कि हम कहीं भी हो, किसी स्थान पर भी हो, हमें ईश्वर का स्मरण बना रहे। छोटीकाशी बूंदी की पावन भूमि, श्री सुदामा सेवा संस्थान (वृद्धाश्रम) का पावन स्थल, पूज्य महाराज श्री-श्री घनश्याम दास जी महाराज के पावन सानिध्य में चल रहे चातुर्मास के पावन अवसर पर श्रीब्रह्म महापुराण के विराम दिवस की कथा में, श्री अंजनी पर्वत और हनुमत तीर्थ का स्मरण किया गया। कल से श्री विष्णुमहापुराण की कथा का अनुष्ठान प्रारंभ होगा।