Varanasi: सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर वाराणसी जिला जेल में महिला बंदियों के लिए बैरक का पुनर्निर्माण किया गया है। वहीं जेल अधीक्षक आचार्य डॉ उमेश सिंह की पहल पर ये कार्य पुरुष बंदियों ने अपने हुनर से किया है, जिसकी हर तरफ तारीफ हो रही है। इस बैरक में महिला बंदी अपने बच्चों के साथ रह सकेंगी। महिला बंदी परिसर में हेल्थ चेकउप रूम, लाइब्रेरी और बच्चों के लिए क्रेच भी होगा। बैरक का उद्घाटन रविवार 6 अगस्त को इलाहाबाद उच्च न्यायालय न्यायमूर्ति द्वारा होना प्रस्तावित है।
महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के लिए संवेदनशील उत्तर प्रदेश की योगी सरकार महिला कैदियों के मानवाधिकार को लेकर भी काफी गंभीर है। इसकी बानगी वाराणसी के जिला जेल में दिखने को मिल रही है। सीएम योगी के निर्देश पर प्रदेश के डीजीपी जेल एस एन साबत ने जेल में कैदियो की स्थिति सुधारने की ओर कदम बढ़ाना शुरू किया तो जेल अधीक्षक ने पहल करते हुए पुरुष बंदियों के हुनर से पुराने बन्द पड़े अस्पताल आहते को महिला बंदियों के लिए नया आशियाना बनवा दिया।
जिला जेल वाराणसी के जेल अधीक्षक आचार्य डॉ उमेश सिंह ने बताया कि मौजूदा वाराणसी जिला जेल का निर्माण 1853 में हुआ था। वर्तमान समय में बैरक की क्षमता 20 महिला बंदियों के रहने की थी, जबकि यहां 111 महिला बंदी और उन महिला बंदी के साथ उनके 12 बच्चे भी रह रहे हैं। जिससे उनको दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। नए बैरक की जगह पहले जेल का अस्पताल था, जिसका पुनर्निर्माण कराकर नई बैरक बनाई गई है। नए बैरक में महिलाओं की अनेक मुश्किलें दूर होंगी। उन्होंने बताया कि 6 अगस्त को नए बैरक का उदघाटन माननीय उच्च न्यायालय इलाहबाद के न्याय मूर्ति द्वारा प्रस्तावित है।
जेल अधीक्षक ने बताया कि इस नए बैरक में महिला बंदियों के हेल्थ चेकअप के लिए अलग कमरा होगा, लाइब्रेरी होगी और उनके बच्चो के सम्पूर्ण विकास के लिए क्रेच भी बनाया गया है। बैरेक में टाइल्स, रौशनी के लिए बल्ब और पंखे भी लगाए गए हैं। साथ ही अलग से 6 सेल का भी पुनर्निर्माण कराया गया है। महिलाओं के लिए वेस्टर्न और इंडियन शौचालयों का निर्माण भी कराया गया है। उनके प्रशिक्षण के लिये भी एक कमरा तैयार किया गया है, जहाँ महिलायें सरकार के कौशल विकास मिशन योजना के तहत प्रशिक्षण प्राप्त कर जेल से निकालने के बाद आत्म निर्भर हो सकेगीं और देश एवं सामाज के को अपना अमूल्य योगदान दे सकेगीं।