Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि चेतना का विकास होता चला जाता है तो हमारा प्रेम अनन्त की ओर बहने लगता है और अनन्तता की ओर बढ़ता चला जाता है।
जगत में दो प्रकार के लोग होते हैं। एक प्रकार के लोग जहां जाते हैं वहां आनन्द होता है और दूसरे प्रकार के लोग जहां से जाते हैं वहां आनन्द होता है। जहां जाते हैं वहां आनन्द होता है, उसका नाम है नंद और जहां से जाते हैं वहां आनन्द होता है उसका नाम है ननंद। बहनों को शास्त्र कि सलाह है कि ननंद मत बनना। मगर नन्द की बहन सुनन्दा बनना।
यश प्राप्त करने की दौड़ में आगे रहना खराब बात नहीं है, मगर दूसरों की बात को बिगाड़ कर यश प्राप्त करना खराब बात है। यशभागी बनने और यशभागी बनने के लिये दूसरे को यश देने की वृत्ति रखने से ही यशभागी बन सकोगे। जगत में बड़ा वह है जो अन्य को बड़ा कर दिखाता है।
दूसरे को महानता देने वाले ही सच्चे अर्थ में महान होते हैं। भगवान रामजी ने अन्य लोगों को कितना महान बनाया? इसके कारण भगवान राम कितने महान हुये। श्रृंगवेरपुर के एक केवट को राम जी ने कितना बड़प्पन दिया? सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).